प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को बड़ी सौगात देने की तैयारी कर रहे हैं. काशी को जल्द ही सांस्कृतिक राजधानी बनाए जाने का ऐलान किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने 13 जनवरी को अहम बैठक बुलाई है, जिसमें शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू, जल संसाधन मंत्री उमा भारती, पयर्टन और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा मौजूद होंगे. साथ ही बैठक में 'काशी-क्योटो प्रोजेक्ट' से जुड़े जापानी प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे. इस दौरान पीएम कुछ अन्य बड़ी घोषणाएं भी कर सकते हैं.
जापान यात्रा के दौरान PM मोदी ने क्योटो के तर्ज पर काशी के विकास के लिए जापान से समझौता किया था. इसके बाद से ही काशी के लोग पीएम की संभावित घोषणाओं की ओर उम्मीद लगाए हैं.
विकास रथ पर सवार नरेंद्र मोदी को जब देश की जनता ने दिल्ली की कमान सौंपी, मोदी ने वडोदरा की जगह वाराणसी को अपने संसदीय क्षेत्र के तौर पर चुना, तभी यह साफ हो गया था कि अब काशी के दिन बदलने वाले हैं. उसे उसका वो हक मिलेगा, जिसका यह शहर बहुत पुराना हकदार है. गंगा के साथ-साथ विकास की गंगा भी बहेगी. प्रधानमंत्री ने खुद वाराणसी की कायाकल्प करने का संकल्प कई बार दोहराया है.
प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा के दौरान क्योटो-वाराणसी साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था. इस समझौते के मुताबिक जापान वाराणसी के विकास में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा. सरकार का लक्ष्य है कि वाराणसी को क्योटो शहर की तर्ज पर विकसित किया जाए. इसी योजना के तहत काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी बनाए जाने का फैसला 13 तारीख को हो सकता है.
क्योटो 1000 साल से भी ज्यादा समय तक जापान की राजधानी रहा था, जबकि वाराणसी को दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में गिना जाता है. जापान ने क्योटो को विकसित करते वक्त उसके सांस्कृतिक विरासत को कायम रखा. प्राचीन शहरों के उद्धार के मोदी के विचार से जापान की नीति यहां मेल खाती है. लिहाजा वाराणसी को बदलने और उसे उसका हक देने के लिए जापान की तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया था.
वैसे 'स्वच्छ भारत अभियान' की लहर में काशी के घाटों की साफ-सफाई तो खूब की गई, पर गंगा की गंदगी अब तक दूर नहीं हो पाई है. देखना है कि इस बार मोदी गंगा और काशी के लिए और क्या-क्या प्लान लेकर आते हैं.