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SCO के मंच पर PM मोदी, जिनपिंग और शहबाज शरीफ, फिर भी संवाद नहीं... क्या है संदेश?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. हालांकि दिनभर यह चर्चा होती रही कि पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ भी द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है लेकिन दोनों ही नेता वेटिंग में रहे गए और मुलाकात नहीं हुई.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और पाकिस्तान के पीएम शाहबाज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और पाकिस्तान के पीएम शाहबाज

जिस दौर में पूरी दुनिया कोरोना महामारी के बाद आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है, ठीक उसी दौर में दुनिया की तीन महाशक्तियों का उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में मिलना हुआ. SCO के सम्मेलन में जिस गर्मजोशी के साथ प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत हुआ, उसी उत्साह के साथ पीएम मोदी ने आपसी सहयोग से विकास की बात कही. उन्होंने संगठन के तमाम देशों से साथ आगे बढ़ने की बात कही. समरकंद में भारत के इस दमखम और दबदबे ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ाई तो वो बाढ़ का दर्द बयां करने लगा. आतंकियों को पहनाह देने वाला मुल्क खुद को ही पीड़ित बताने लगा. वहीं SCO की इस बैठक में सबसे बड़ा सस्पेंस पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात को लेकर बना रहा. माना जा रहा था कि एलएसी से सेनाओं के पीछे हटने के बाद दोनों देशों के पीएम बातचीत करेंगे, लेकिन इस बड़े मंच पर चीन से दूरी बनाकर भारत ने कड़ा संदेश दिया है कि विस्तारवादी सोच वाले चीन के साथ अभी मंच साझा करना संभव नहीं.

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दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव शामिल हैं. हालांकि दिनभर यह भी चर्चा होती रही कि पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ भी द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है लेकिन दोनों ही नेता वेटिंग में रहे गए और मुलाकात नहीं हुई. 

बता दें कि 2016 में हुए पठानकोट हमले के बाद से दोनों देशों के बीच दुनिया के किसी भी मंच पर द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई. हालांकि 2019 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच एक छोटी सी मुलाकात जरूर हुई थी, जिसे शिष्टाचार मुलाकात का नाम दिया गया. वहीं अब समरकंद में करीब 3 साल बाद भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक साथ किसी वैश्विक मंच पर थे. लेकिन इस बार भी भारत ने पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं की. कारण, भारत पहले ही कई बार स्पष्ट कर चुका है कि जब तक पाकिस्तान कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगाता और आतंकियों को पनाह देना बंद नहीं करता, भारत उसके साथ किसी तरह की बातचीत नहीं करेगा. 

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34 महीने बाद एक मंच पर दिखे पीएम मोदी और शी जिनपिंग

पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग करीब 34 महीने बाद एक मंच पर दिखे. दोनों के बीच आखिरी मुलाकात 2019 में BRICS सम्मेलन के दौरान हुई थी. माना जा रहा था कि एलएसी से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद समरकंद में हुए SCO समिट में पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच बातचीत हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे भारत ने कड़ा संदेश दिया है कि विस्तारवादी सोच वाले चीन के साथ अभी मंच साझा करना संभव नहीं. वहीं समरकंद में भारत की ताकत की झलक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ मुलाकातों में दिखाई दी. इन दोनों मुलाकातों से भारत ने साफ संदेश दे दिया है कि वो अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ना तो किसी गुट के दबाव की परवाह करेगा और ना ही किसी गुट का दखल बर्दाश्त करेगा. यही वजह है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अगले साल भारत की मेजबानी के समर्थन में उतर आए. उन्होंने बयान जारी किया,'हम अगले साल भारत की अध्यक्षता का समर्थन करते हैं.'

मोदी ने ट्रांजिट अधिकार पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ समिट में इससे पहले अफगानिस्तान के लिए मदद में रोड़ा लगाने पर पाकिस्तान को खरी खोटी सुनाई थी. नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सदस्य देशों को एक दूसरे को ट्रांजिट का अधिकार देना चाहिए. इस पर शहबाज शरीफ ने कहा,'चलिए हम एक मजबूत कनेक्टिविट प्लान बनाते हैं, जिसमें मध्य एशिया के देशों की कनेक्टिविटी हो. ऐसे में पड़ोसी समेत सभी को पूरा ट्रांजिट का अधिकार मिल जाएगा. इसमें कोई दो राय नहीं है. ये सभी सदस्य देशों की जीत होगी. मुझे लगता है इस पर काम करने का ये सही समय है.' दरअसल जब अफगान लोगों के लिए भारत ने गेहूं भेजने की पेशकश की थी तो पाकिस्तान ने भारतीय ट्रकों को अपने बॉर्डर से लंबे समय तक नहीं जाने दिया था.

जानिए क्या है कि SCO

बता दें कि SCO के सदस्य देश वैश्विक GDP में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं और विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या भी SCO देशों में निवास करती है. शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) का गठन 2001 में हुआ था. इसमें भारत, पाकिस्तान, रूस और चीन समेत कुल 8 स्थायी सदस्य हैं. ये एक जियोपॉलिटिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है. शुरुआत में इसमें 6 देश ही सदस्य थे. जिनमें रूस, चीन, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान ​​​​​​, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे. लेकिन बाद में भारत और पाकिस्तान भी इसमें शामिल हो गए. SCO की अगली बैठक अगले साल 2023 में भारत में होगी. 

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