अगले साल गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को बतौर चीफ गेस्ट बुलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले ने कूटनीतिक जगत में हलचल मचा दी है. भारतीय रणनीतिकारों ने बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे. अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी ने चीन को कड़ा संदेश देने के मकसद से यह कदम उठाया है. चीन न सिर्फ बॉर्डर पर भारत को आंखें दिखा रहा है बल्कि दक्षिण एशिया में लगातार पैठ बना रहा है. ओबामा के दौरे से पहले भारत आएंगी बिसवाल
ओबामा को न्योता देने के फैसले के पीछे आरएसएस, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव सुजाता सिंह और अमेरिका में भारत के राजदूत एस जयशंकर की अहम भूमिका रही. इन सभी ने एकमत से ओबामा को न्योता देने का निर्णय लिया. मोदी सरकार के इस कदम से आरएसएस भी खुश है. वह भी चीन को लेकर चिंतित है, इसलिए ओबामा को न्योता देने के निर्णय को उसने भी हरी झंडी दिखा दी. उम्मीद की जा रही है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका की साझेदारी क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए बेहद अहम साबित होगी.
पीएम मोदी ने हाल में संपन्न ऑस्ट्रेलिया दौरा तथा जापान व अमेरिकी की यात्रा के दौरान एशिया-पैसिफिक सुरक्षा साझेदारी पर बल दिया था. ऑफिशियल्स की मानें तो मोदी ने पीएम बनने के बाद नेपाल और म्यांमार के साथ संबंधों को विस्तार देने के प्रयास तेज किए हैं. ऐसे में अमेरिका को न्योता बेहद अहम हो जाता है, क्योंकि म्यांमार फिलहाल चीन के प्रभाव में है और अमेरिका वहां मजबूत लोकतंत्र स्थापित करने के लिए प्रयासरत है.