लोकसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा गया. बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों ने विकास को राजनीति का मुद्दा बनाया. लेकिन यह दिलचस्प है कि 16वीं लोकसभा के गठन को आठ महीने बीत चुके हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सरकार के कई मंत्रियों और लोकसभा के ज्यादातर सांसदों ने अभी तक अपनी सांसद विकास निधि से एक रुपया तक खर्च नहीं किया है.
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक, केंद्र शासित प्रदेशों समेत देश के सभी 36 राज्यों में से सिर्फ 10 के ही सांसदों ने अपनी सांसद निधि से काम करवाना शुरू किया है. दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, असम और हिमाचल समेत कई राज्यों के सांसदों ने अभी तक अपने इलाकों में विकास कार्यों के लिए फंड खर्च करना शुरू नहीं किया है. मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन से मिली जानकारी के अनुसार, मई 2014 से 1 जनवरी 2015 के बीच सांसदों को कुल 1242.50 करोड़ रुपये MPLAD स्कीम के तहत पहली किश्त के रूप में मिल चुके हैं.
उत्तर प्रदेश से लोकसभा के 80 सांसद हैं, जिनमें पीएम मोदी भी शामिल हैं. इन्हें सबसे ज्यादा 197.50 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन 6 महीने से किसी भी सांसद ने विकास कार्य के लिए पैसा खर्च नहीं किया है. इनमें बीजेपी के 71 सांसद, 2 अपना दल के, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, एसपी चीफ मुलायम सिंह यादव और उनकी बहू डिंपल समेत उनकी पार्टी के 5 सांसद शामिल हैं.
दिल्ली में बीजेपी के 7 सांसद हैं और इनमें से एक ने भी पहली किश्त के रूप में मिले 2.5 करोड़ रुपयों से कुछ भी विकास कार्य पर खर्च नहीं किया है. महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और केरल में भी हालत यही है. MPLAD के तहत सांसदों को हर साल 5 लाख रुपये विकास कार्यों के लिए दिए जाते हैं. इसका मकसद है कि सांसद स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए तुरंत फंड जारी कर सकें. वे पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई और सड़कों वगैरह पर यह पैसा खर्च कर सकते हैं.