प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बीच एक चुपचाप संवाद होने की खबर है. बताया जाता है कि इसके तहत संघ परिवार अपनी आक्रामकता पर लगाम लगाएगा. यही नहीं, इस दौरान मोदी ने भागवत को दो महत्वपूर्ण संदेश भी दिए हैं.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, पीएम मोदी ने मोहन भागवत से गुपचुप लेकिन ठोस बातचीत की है ताकि संघ परिवार के लोग थोड़ा शांत रहें. आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने बीते दिनों 'घर वापसी' कार्यक्रम चलाकर विवाद खड़ा किया है. बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं ने बताया कि पीएम मोदी ने भागवत को दो महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं. इसमें वह संघ के शीर्ष नेताओं से ही बातचीत करेंगे न कि हर किसी से. यह पहले से काफी अलग है, क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी संघ के हर नेता से मिलते थे चाहे वह बड़ा हो या छोटा. इसके विपरीत मोदी सिर्फ उच्चस्तरीय नेताओं से मिलना चाहते हैं. ऐसा कर मोदी साफ संकेत देना चाह रहे हैं कि वह सरकार अपने ही तरीके से चलाएंगे.
पीएम मोदी ने अपने दूसरे संदेश में कहा कि यह आरएसएस का उत्तरदायित्व है कि केंद्र की पहली बीजेपी बहुमत सरकार ऐसे माहौल में काम करे, जो विकास और प्रगति के अपने वादे को पूरा कर सके. संघ के एक वरिष्ठ नेता ने अखबार को बताया कि यूपी के संघ प्रचारक राजेश्वर सिंह का पद से हटाया जाना इस बात का सूचक है. इतना ही नहीं वहां के राज्यपाल राम नाइक का यह कहना कि राज्य में विकास को बढ़ावा देना है और राम मंदिर काम मामला अदालतों को तय करने दिया जाए.
यह भी कहा जा रहा है कि मोदी को पसंद न करने वाले प्रवीण तोगड़िया की भी संघ की मार्च में होने वाली बैठक में आलोचना हो सकती है. तोगड़िया के कार्यकलापों और बयानों से सरकार की काफी किरकिरी हो रही है. इस विषय पर संघ की बैठक में चर्चा हो सकती है. बीजेपी के नेताओं का मानना है कि इतने शोरशराबे और विवादों में विकास का काम रुक सकता है इसलिए इन पर लगाम लगाने की जरूरत है.