30 साल बाद शनिवार देश का कोई प्रधानमंत्री माओवादी समस्या से ग्रसित छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा पहुंचा. ऐसे में उम्मीदें बढ़नी स्वाभाविक हैं. दिन भर के दौरे की शुरुआत हुई मन की बात करने वाले पीएम मोदी से स्कूली बच्चों के सवालों से. पीएम मोदी ने भी स्कूली बच्चों को अपने चिर-परिचित अंदाज में जवाब दिए. पढ़ें स्कूली बच्चों के सवाल और पीएम मोदी के जवाब:
छात्र: कठिन और विषम परिस्थितियों में भी हमें कैसा जीवन जीना चाहिए, किनसे प्रेरणा लेनी चाहिए?
पीएम मोदी: कठिन हालात में जीवन जीना चाहिए. किताबें जरूर पढ़िए. वो वाली नहीं, जो मास्टर जी कहते हैं. पॉलिएना नाम की एक किताब जरूर पढ़िए, इसमें हर हालात में सकारात्मक सोच बनाए रखने की प्रेरणा है. समस्या के साथ सामंजस्य बिठाते चलिए. खुद से ज्यादा दूसरों के जीवन से प्रेरणा लीजिए.
छात्र: आप 18 घंटे काम करते हैं. ऐसे में पीएम पद के तनाव को कैसे कम करते हैं?
पीएम मोदी: मैं यह नहीं गिनता कि कितने घंटे काम करता हूं. काम करने से थकान नहीं होता, काम पूरा न होने से थकान होता है. ज्यादा काम करने से संतोष मिलता है.
छात्र: आपके जीवन का सबसे सफल दिन कौन सा रहा?
पीएम मोदी: जीवन को सफलता-विफलता के तराजू पर नहीं तौलना चाहिए. जीवन में एक लक्ष्य, एक ध्येय लेकर चलना चाहिए.
छात्र: आप राजनीति में नहीं होते तो क्या होते?
पीएम मोदी: मैं बालक बने रहना चाहता. बड़े होने पर बालक बने रहने का अहसास होता है.
छात्र: आपने जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना किया, क्या आप हमें सफलता का राज बताएंगे?
पीएम मोदी: सफल होना है तो पता होना चाहिए कि कहां पहुंचना है. किस रास्ते जाना है, कब तक जाना है. सफल होने के लिए लक्ष्य स्थिर होना चाहिए.
बिना किसी सवाल के पीएम मोदी ने छात्र-छात्राओं को कुछ सीख भी दी. उन्होंने कहा कि बनने के सपने कम देखो, कुछ करने का सपना देखो. करने के सपने देखोगे तो ज्यादा आनंद आएगा. पीएम मोदी ने कहा कि खेल-कूद जरूरी है. इससे पढ़ाई को कोई नुकसान नहीं होता है.