संसद के शीतकालीन सत्र से इतर संसद भवन में ही आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हो रही इस बैठक में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर मुहर लग गई है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस बिल को संसद में पेश किया जाना है. बता दें कि नागरिकता बिल का कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं, ऐसे में इस बिल पर हर किसी की नज़र है.
कैबिनेट में क्या लिया गया फैसला?
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लोकसभा/विधानसभा में SC/ST रिजर्वेशन की मियाद बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इस रिजर्वेशन की मियाद 25 जनवरी, 2020 को खत्म हो रही थी, जिसे अब 10 साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.
Delhi: Union Cabinet meeting begins at Parliament House Annexe building.
— ANI (@ANI) December 4, 2019
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अपने सभी सांसदों को संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है. साफ है कि अगर बिल को लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जाता है, तो इसपर चर्चा के बाद तुरंत वोटिंग होगी. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस कानून को लाने का वादा किया था. ऐसे में राजनीतिक तौर पर भी बीजेपी के लिए ये बिल काफी अहम है.
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक में सांसदों से कहा था कि अनुच्छेद 370 बिल के बाद ये बिल काफी अहम है, ऐसे में सभी सांसदों का सदन में रहना काफी जरूरी है.
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इस बिल में क्या है?
मोदी सरकार नागरिकता विधेयक 1955 में बदलाव करने की तैयारी में है, नए बिल के तहत नागरिकता को लेकर कई नियमों में बदलाव होगा. अगर बिल पास होता है तो पड़ोसी देशों से भारत में आकर बसने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने में आसानी होगी. लेकिन ये नागरिकता सिर्फ हिंदू, जैन, पारसी, बौद्ध धर्म के शरणार्थियों को ही दी जाएगी.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां इस मसले पर मोदी सरकार का विरोध कर रही हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार बिल के जरिए धर्म के आधार पर बांट रही है. क्योंकि नागरिकता के लिए मुस्लिम शरणार्थियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. साथ ही नागरिकता मिलने का आधार 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया जाएगा.