प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश के 25 बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार देकर सम्मानित किया . मोदी ने कहा, 'मैं पुरस्कार जीतने वाले सभी बच्चों और उनके अभिभावकों को बधाई देता हूं. कुछ लोगों की जांबाजी ने बहुत लोगों को नई जिंदगी दी है. साहस, स्वभाव का हिस्सा होना चाहिए.'
PM Narendra Modi felicitates children who have won National Bravery Awards 2015. pic.twitter.com/4XK8WSSpxt
— ANI (@ANI_news) January 24, 2016
पीएम मोदी ने कहा, 'हमें समाज के साथ ऐसे पेश आना चाहिए जैसे वो हमारा शरीर हो. अगर शरीर के एक हिस्से को दर्द होता है या वो तकलीफ में होता है, तो दूसरा अंग तुरंत हरकत में आता है और मदद के लिए पहुंचता है.'
पीएम ने ट्वीट करके कहा, 'अपने नौजवान दोस्तों को वीरता पुरस्कार देते हुए मैं गर्व से भरा हुआ था.'
While presenting the National Bravery Awards to my young friends, my mind was full of pride & admiration for these children & their grit.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 24, 2016
देखने में भले ही ये बच्चे आपको छोटे लगें, लेकिन इनके हौसले बड़े-बड़ों को मात देते हैं. देशभर में में वीरता पुरस्कार के लिए इन्हीं बच्चों को क्यों चुना गया और क्या है इनकी कहानी, ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे. पढ़िए, इन बच्चों की बहादुरी की दास्तां .
कशिश, बहन को बचाने वाला बहादुर बच्चा
23 दिसंबर 2014 को कशिश अपनी एक साल की बहन के साथ अपार्टमेंट के बगीचे में खेल रहा था. अचानक एक जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने कशिश की बहन पर हमला कर दिया. उसने पूरी हिम्मत के साथ कुत्ते से बहन को बचाने की कोशिश की. वो लगातार कुत्ते के जबड़े से बहन को खींचने लगा, मगर कुत्ता एक साल की बच्ची को खींचकर दूर ले जाना चाहता था. कशिश ने शोर मचाया, जिससे कई लोग आ गए. सबने मिलकर कुत्ते को भगाया और कशिश अपनी बहन को बचाने में कामयाब रहा. इन जांबाज बच्चों में दो ऐसे भी हैं, जिन्होंने दूसरों की जान बचाने के लिए हंसते-हंसते अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी और इन्हें मरणोपरांत यह सम्मान मिलेगा.
Prime Minister Narendra Modi felicitates children who have won National Bravery Awards 2015. pic.twitter.com/XyWrKQQBYk
— ANI (@ANI_news) January 24, 2016
गौरव सहस्त्रबुद्धे: चार दोस्तों को बचाया, लेकिन खुद डूब गया
नागपुर जिले में रहने वाले 15 साल के गौरव ने 3 जून 2014 को अंबाझरी झील में चार दोस्तों को डूबते हुए देखा. अपनी ज़िंदगी की परवाह किए बगैर गौरव ने झील में छलांग लगा दी और चारों दोस्तों को बचा लिया. मगर, अफसोस कि बेहद थक चुके गौरव को किनारा नहीं मिल सका. सहस्त्रबुद्धे को ‘भारत पुरस्कार’ दिया जाएगा जो राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों में सर्वोच्च है जो उसकी ओर से उसके माता पिता प्राप्त करेंगे.
17 जून 2015 को शिवांश के पांच दोस्त सरयू नदी में नहा रहे थे. इनमें से एक दोस्त नदी की धारा में डूबने लगा. शिवांश उस तक पहुंच तो गया और किनारे तक भी ले आया लेकिन बदकिस्मती से दोनों डूब गए. शिवांश आज भले ही दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी मां अपने जांबाज लाड़ले की बहादुरी को सलाम करती हैं.
अर्जुन: मां को टाइगर से बचाया
टाइगर की एक दहाड़ सुनते ही कोई भी कांप उठेगा, लेकिन उत्तराखंड के अर्जुन सिंह ने ना केवल टाइगर का मुकाबला किया, बल्कि उसे भागने पर मजबूर भी कर दिया. 16 जुलाई 2014 को अर्जुन सिंह की मां जानवरों को चारा डालने गई थीं. उसी दौरान एक टाइगर ने उन पर हमला कर दिया. मां की चीख सुनकर अर्जुन बाहर आया और दरांती से टाइगर पर टूट पड़ा. इस बार टाइगर ने उस पर भी हमला कर दिया. मगर, अर्जुन ने दूसरा वार किया और टाइगर भाग गया. जब से अर्जुन ने टाइगर से भिड़ंत की है, तब से उसे लोग टाइगर कहने लगे हैं. अर्जुन की मां कहती हैं कि बेटे की बदौलत दूसरी जिंदगी मिली है. उन्हें अपने जिगर के टुकड़े की बहादुरी पर बहुत नाज है.
दिशांत मेहंदीरत्ता: हथियारबंद चोर का मुकाबला किया
हरियाणा में रहने वाले दिशांत के घर 4 अप्रैल 2015 को एक चोर घुस आया. उसने दिशांत की मां की गर्दन पर चाकू रख दिया. मां ने मदद के लिए गुहार लगाई तो दिशांत पहुंचा. उसने बड़ी होशियारी से चोर के पैर पकड़ लिए और मां को छोड़ने की अपील करते हुए उसे पकड़कर गिरा दिया. बाद में मां-बेटे ने चोर को धर दबोचा. दिशांत की हिम्मत की बदौलत उनकी मां ना केवल महफूज हैं, बल्कि वो सबको बेटे की बहादुरी के किस्से भी सुनाती हैं.
राकेशभाई पटेल: डूबते लड़के को बचाया
आपको उस बच्चे की वीरता से रू-ब-रू करवाते हैं, जिसके माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं. मगर, उसका जज्बा ऐसा है कि सारी दुनिया को अपना मानता है. 14 जून 2015 को खेलते हुए एक लड़के की बॉल कुएं में गिर गई है. वो बॉल लेने के चक्कर में कुएं में गिर गया. राकेशभाई ने उसकी आवाज सुनी तो मदद के लिए कुएं में छलांग लगा दी. कुछ देर की मशक्कत के बाद राकेश ने कुएं में गिरे लड़के को बचा लिया. राकेशभाई पटेल ने ना सिर्फ एक जिंदगी बचाई है, बल्कि एक परिवार की उम्मीदों को भी डूबने से बचा लिया.
शिवमपेट रूचिता: ट्रेन की चपेट में आने पर दो बच्चों को बचाया
प्रख्यात गीता चोपड़ा पुरस्कार तेलंगाना निवासी आठ वर्षीय शिवमपेट रूचिता को दिया जाएगा जिसने अपनी स्कूल बस के एक ट्रेन की चपेट में आने पर दो बच्चों की जान बचाने में अदम्य साहस का परिचय दिया था. हालांकि, अपनी बहन की जान नहीं बचा पाने का उसे बहुत अफसोस है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 24 जनवरी को पुरस्कार ग्रहण करने जा रहे 25 बहादुरों में वह सबसे छोटी है. यह हादसा 24 जुलाई को हुआ था जिसमें चालक और कंडक्टर के अलावा 16 छात्रों की मौत हो गई थी.
रूचिता ने बताया कि रेलवे फाटक पार करने के दौरान जब बस पटरी पर रुक गई तब उसने अपनी छोटी बहन को आवाज दी जो पहली सीट पर बैठी हुई थी लेकिन वह उसकी और अन्य की जान नहीं बचा सकी क्योंकि तब तक ट्रेन ने बस को टक्कर मार दिया था. बस में सवार रूचिता के छोटे भाई को चोट लगी थी. चौथी कक्षा में पढ़ने वाली इस लड़की ने कहा, ‘मशहूर होना और प्रधानमंत्री से पुरस्कार पाना अच्छा लग रहा है. लेकिन काश मैं अपनी बहन की भी जान बचा पाती. हमें उसकी कमी खलेगी.’
पुरस्कार पाने वाले बाकी बच्चे
बहादुरी पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चे हैं- मौरीस येंगखोम और चोनगथम कुबेर मेइतेई (मणिपुर), एजेंलीसा सीनसोंग (मेघालय), साई कृष्ण अखिल किलांबी (तेलंगाना), जोएना चक्रवर्ती और सर्वानंद साहा (छत्तीसगढ़), बीधोवन, नितिन फिलिप मैथ्यू, अभिजीत केवी, अनंदू दिलीप, मोहम्मद शामंद, अरोमल एसएम (सभी केरल), मोहित महेन्द्र दाल्वी, नीलेश रेवाराम भील, वैभव रमेश घानगारे (सभी महाराष्ट्र), अबिनाश मिश्रा (ओड़िशा) और भीमसेन (उत्तर प्रदेश).
सभी बहादुर बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भी हिस्सा लेंगे.