राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ी पहल की है. उन्होंने सोमवार को सांसदों के लिए बैट्री वाली दो बसों को हरी झंडी दिखाई.
पीएम मोदी की यह पहल इस मायने में अहम है कि प्रदूषण को कम करने की जिम्मेदारी में सांसद भी अपनी भूमिका अदा कर सकें. प्रधानमंत्री ने रिबन काटने के बाद बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
PM Narendra Modi flagging off a lithium-ion-powered battery bus earlier today for Members of Parliament pic.twitter.com/dh0BhM3yQi
— ANI (@ANI_news) December 21, 2015
एक बैट्री की कीमत पांच लाख
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि योजना के सांसद इन्हीं बसों से संसद तक आया-जाया करेंगे. इसमें वही लीथियम आयन बैट्री लगी हैं, जो इसरो सैटेलाइट प्रपल्शन में इस्तेमाल करता है. इसरो ने मंत्रालय के साथ मिलकर ऐसी पांच बैट्री बनाई हैं. एक की कीमत 5 लाख रुपये है. यदि इसी को आयात करें तो यह 55 लाख रुपये की पड़ती है.
मुहिमः मेक इन इंडिया का हिस्सा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि योजना भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान का हिस्सा है. नितिन गडकरी ने कहा कि ऐसी गाड़ियां कमर्शियल इस्तेमाल के लिए भी बनाई जाएंगी और इनके पेटेंट रजिस्टर कराए जाएंगे. भविष्य में दिल्ली की सड़कों पर 15 ऐसी बसें चलाने की योजना है. यह पायलट प्रोजेक्ट होगा. ऐसी ही बसें दूसरी जगहों पर भी चलाई जाएंगी. हालांकि गडकरी ने दूसरी जगहों या शहरों के नाम नहीं बताए.
This battery powered bus is another initiative of our #MakeInIndia campaign-PM Modi
— ANI (@ANI_news) December 21, 2015
दावाः दो साल में न्यूनतम कर देंगे चिंता
गडकरी ने कहा कि प्रदूषण सरकार के लिए बड़ी चिंता है और परिवहन मंत्रालय दिल्ली में प्रदूषण से जुड़ी तमाम चिंताएं दो साल के भीतर खत्म कर देगा. गडकरी ने कहा, 'दिल्ली ही नहीं, बल्कि देशभर में प्रदूषण का स्तर न्यूनतम करने का विचार है. हमारी योजना देशभर में डीजल से चलने वाली डेढ़ लाख बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की है. नागपुर में बायो-सीएनजी को बढ़ावा दिया जा रहा है.'
सुझावः बायो सीएनजी का
गडकरी ने एक सुझाव भी दिया. बायो सीएनजी बनाने का सुझाव. उन्होंने कहा कि सीवेज वाटर से मीथेन निकालकर बायो सीएनजी बनाई जा सकती है और उससे बसें चलाई जा सकती हैं. किसानों को चीनी और दूसरी चीजों से बायो फ्यूल बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है. इसमें उन्हें भी बड़ा मुनाफा मिलेगा और देश की आर्थिक तरक्की में भी मदद मिल सकेगी.