प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 दिनों की अमेरिका यात्रा पर रवाना हो चुके हैं. इस यात्रा से उनकी बहुत सी अपेक्षाएं हैं, लेकिन बहुत संभव है कि मोदी जब अमेरिका से लौटे तो उनके हाथों में कई सारे डील के साथ डॉक्टरेट की एक मानद उपाधि भी हो.
दरअसल, अमेरिका की साउदर्न यूनिवर्सिटी सिस्टम ऑफ लुइसियाना ने भारतीय प्रधानमंत्री को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करने का निर्णय लिया है. मोदी को यह उपाधि समावेशी विकास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए दिया जा रहा है. हालांकि अब यह पीएम पर निर्भर है कि वह यह उपाधि स्वीकार करते हैं या नहीं.
गुरुवार सुबह यूनिवर्सिटी की बोर्ड मीटिंग में उपाधि पर आखिरी निर्णय लिया गया. यूनिवर्सिटी की ओर से जारी विज्ञप्ति में यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट रोनाल्ड मैसन जूनियर ने कहा, 'डॉ. पंकज फड़नीस की ओर से 30 अगस्त 2013 को प्रस्तुत रिसर्च कोलोक्वियम में हमारे अकादमिक समुदाय ने श्री मोदी के नेतृत्व में गुजरात के विकास खासकर 'सभी का समावेशी विकास' पर उनके जोर को जाना.' आजतक के पास यूनिर्सिटी के बयान की कॉपी है.
डॉ. पंकज कहते हैं, 'यह डिग्री नरेंद्र मोदी के उन प्रयासों को मान्यता देती है, जो उन्होंने सामाजिक बदलाव खासकर महिला सशक्तिकरण और अल्पसंख्यकों के लिए गुजरात में किया.' इंडिया टुडे ग्रुप से बातचीत में डॉ. पंकज ने आगे कहा कि तकनीकी स्तर पर बात करें तो अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने पीएम मोदी को उपाधि का प्रस्ताव दिया है. अब यह उनके ऊपर है कि वह इसे स्वीकार करते हैं या नहीं.
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी की ओर से 2002 में यह उपाधि नेल्सन मंडेला को भी दी गई थी. यही नहीं, उनके नाम पर यूनिवर्सिटी में एक लोक योजना स्कूल का नामकरण भी किया गया.
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि वह नरेंद्र मोदी के गुजरात में समावेशी विकास से प्रभावित है. यही नहीं, बतौर प्रधानमंत्री मोदी के 100 दिनों के कार्य, जाति और सांप्रदायिक हिंसा पर 10 साल तक स्थगन और डिजिटल इंडिया के उनके प्रयासों को भी यूनिवर्सिटी की ओर से सराहा गया है.
यूनिवर्सिटी ने प्रधानमंत्री को दिसंबर 2015 में आयाजित होने वाले सत्र समाप्ति के अवसर पर प्रमुख वक्ता और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर सेंटर फॉर आईसीटी इनेबल सोशल ट्रांसफॉर्मेशन के ग्लोबल हेडक्वार्टर के शुभारंभ पर शरीक होने का निमंत्रण भी भेजा है.