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केरल को वाराणसी जितना प्रिय बताकर नरेंद्र मोदी ने दक्षिण में BJP का एजेंडा साफ कर दिया

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग हैरान हैं कि नरेंद्र मोदी दक्षिण के केरल क्यों आ रहे हैं जहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुला है. उन्होंने आगे कहा कि भारत के लोकतंत्र में चुनाव का अपना स्थान होता है, और जीतने वाले का ये दायित्व है कि वह पूरे 130 करोड़ लोगों के हितों का ख्याल रखे.

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केरल के गुरुवायूर मंदिर में पूजा कर बाहर आते नरेंद्र मोदी (फोटो-TWITTER)
केरल के गुरुवायूर मंदिर में पूजा कर बाहर आते नरेंद्र मोदी (फोटो-TWITTER)

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लोकसभा चुनाव के बाद केरल पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो हमें जिताते हैं, वो भी हमारे हैं, जो इस बार हमें जिताने में चूक गए हैं, वो भी हमारे हैं. मेरे लिए केरल उतना ही प्रिय है, जितना कि वाराणसी. केरल के गुरुवायूर में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिला प्रचंड जनादेश न्यू इंडिया के निर्माण के लिए है.

जहां खाता नहीं खुला वहां क्यों आए मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजनीतिक दल और चुनाव कराने वाले लोग जनता के मूड को भांप नहीं सके. लेकिन लोगों ने बीजेपी को मजबूत जनादेश दिया. केरल को अपने दौरे का पहला पड़ाव बनाने पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग हैरान हैं कि नरेंद्र मोदी दक्षिण के केरल क्यों आ रहे हैं जहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुला है. उन्होंने आगे कहा कि भारत के लोकतंत्र में चुनाव का अपना स्थान होता है, और जीतने वाले का ये दायित्व है कि वह पूरे 130 करोड़ लोगों के हितों का ख्याल रखे. मोदी ने कहा, "जो हमें जिताते हैं, वो भी हमारे हैं, जो इस बार हमें जिताने में चूक गए हैं, वो भी हमारे हैं, मेरे लिए केरल उतना प्रिय है, जितना कि वाराणसी."

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वाराणसी पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र और बीजेपी का मजबूत किला रहा है. पिछले दो बार से पीएम मोदी यहां से जीत रहे हैं. केरल से वाराणसी की तुलना कर पीएम मोदी ने केरल का भी एक चुनावी स्केच तैयार कर दिया है, जिस पर बीजेपी के नेतृत्व के सामने भगवा रंग भरने की चुनौती है. बता दें कि पश्चिम बंगाल की सियासत भी लगभग 10 साल पहले बीजेपी के लिए दूर की कौड़ी थी, लेकिन एक लंबे प्लान पर काम करते हुए बीजेपी ने इस बार 18 सीटें जीतकर वहां अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है. केरल जैसा पश्चिम बंगाल में भी कभी लेफ्ट और कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन यहां पर वाम और कांग्रेस हाशिये पर चले गए और इनकी राजनीतिक स्पेस पर बीजेपी ने अपना झंडा फहराया. हालांकि केरल में इस वक्त कांग्रेस और लेफ्ट दोनों ही दमदार स्थिति में है और बीजेपी को अपनी जगह बनाने के लिए खूब मेहनत करनी होगी. 

केरल में फ्लॉप रही है बीजेपी

बता दें कि केरल की 20 लोकसभा सीटों में बीजेपी को करारी हार झेलनी पड़ी है. यहां की 19 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. जबकि एक सीट पर सीपीएम के उम्मीदवार को जीत मिली है. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले 52 सीटों में एक तिहाई से ज्यादा केरल से ही मिली है. इस लिहाज से केरल देश में कांग्रेस को सबसे मजबूत गढ़ बना हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी केरल के वायनाड से ही जीते हैं. केरल का जनादेश इस लिहाज से भी पीएम नरेंद्र मोदी के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यहीं का वो मतदाता है जिस पर मोदी लहर का असर नहीं हुआ है.

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इसके अलावा 2016 में हुए केरल विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की मौजूदगी न के बराबर रही है. 140 सदस्यों वाली केरल विधानसभा में बीजेपी का एक मात्र विधायक है. दक्षिण के दुर्ग में केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां बीजेपी कमजोर है.

हम जनप्रतिनिधि नहीं जनसेवक हैं-मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में राजनीति के सेवा पक्ष की ओर जोर दिया और कहा कि जनता हमें जनप्रतिनिधि 5 साल के लिए बनाती है, लेकिन हम जनसेवक हैं, जो आजीवन होते हैं और जनता के लिए समर्पित होते हैं. नरेंद्र मोदी ने चुनाव में जोर-शोर से शिरकत करने के लिए केरल की जनता का धन्यवाद दिया और कहा कि लोकतंत्र के इस महापर्व को सफल बनाने के लिए यहां के लोगों के शुक्रगुजार हैं. केरल में निपाह वायरस संक्रमण पर मोदी ने कहा कि इस बीमारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार केरल की सरकार से कंधा से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है.

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