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सबरीमाला पर महिला जज की बात को देखा जाना चाहिए: PM नरेंद्र मोदी

Narendra Modi ANI interview प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सबरीमाला ही नहीं देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर परंपरा के मुताबिक पुरुषों की एंट्री प्रतिबंधित है. वहां इसका पालन किया जाता है. इस पर किसी को समस्या नहीं होती. अगर लोगों की आस्था है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश न हो तो उसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि महिला जज ने सबरीमाला मामले पर जो फैसला दिया है उसे भी देखा जाना चाहिए.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-ANI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-ANI)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के अवसर पर न्यूज एजेंसी एनआई को लंबा इंटरव्यू दिया. उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा गया कि सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता. इस पर आपकी क्या राय है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सबरीमाला ही नहीं देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर परंपरा के मुताबिक पुरुषों की एंट्री प्रतिबंधित है. वहां इसका पालन किया जाता है. इस पर किसी को समस्या नहीं होती. अगर लोगों की आस्था है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश न हो तो उसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि महिला जज ने सबरीमाला मामले पर जो फैसला दिया है उसे भी देखा जाना चाहिए.

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गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले पर 5 जजों की पीठ बनाई गई थी. इसमें एक महिला जज इंदु मल्होत्रा भी थीं. फैसला 4-1 से आया था जिसमें कहा गया था कि किसी भी उम्र की महिला को मंदिर में प्रवेश से रोका नहीं जा सकता. जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जज इंदु मल्होत्रा ने इसका विरोध किया था.

क्या कहा था जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने  

सबरीमाला मामले में फैसले में जस्टिस इंदु मल्होत्रा का फैसला बाकी चार जजों से अलग था. इंदु मल्होत्रा ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा था कि अदालत को धार्मिक मुद्दों में दखल नहीं देना चाहिए.

क्या है सबरीमाला मामला

केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में 10 साल लेकर 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित था. परंपरा के अनुसार माना जाता था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और जो महिलाएं रजस्वला होती हैं उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की पीठ बनाई थी. इसने 4-1 से फैसला दिया था कि सबरीमाला मंदिर में किसी भी आयु वर्ग की महिला को प्रवेश से रोका नहीं जा सकता. इस पांच सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर शामिल थे.

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