प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहना है कि देश में दलितों को समान अवसर देने मात्र से कुछ नहीं होने वाला. पीएम के मुताबिक जरूरत दलितों को समरसता देने की है. विज्ञान भवन में केरल के दलित समाज सुधारक अय्यंकाली के 152 वें जन्मदिवस पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि दलितों को समान अवसर प्रदान करने के मामले में देश ने भले ही बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली हो, लेकिन आवश्यकता है समरसता हासिल करने की.
पीएम ने अपने संबोधन में कहा, 'अगर हम केवल समानता पर अटक जाते हैं तो उससे कोई मदद नहीं मिलेगी. समरसता के लिए हमें अतिरिक्त प्रयास करने होंगे. समरसता के लक्ष्य को पूर्ण करना देश और समाज का सामूहिक दायित्व है. समता से भी बड़ी चीज है समरसता.' समरसता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'एक ब्राह्मण को नौकरी मिल जाती है. एक दलित को नौकरी मिल जाती है. लेकिन केवल इससे काम नहीं चलेगा. हमें एक कदम आगे बढ़ना होगा. समाज में अंतिम पड़ाव सौहार्द का है. इसके लिए हमें समाज को लगातार जागरूक करना होगा.'
गांधी से की अय्यंकाली की तुलना
अय्यंकाली के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह महात्मा गांधी ने 1930 में दांडी मार्च का आयोजन करके देश के स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ा योगदान किया था, उसी तरह अय्यंनकाली ने 1913 में दलितों के उत्थान के लिए सम्मेलन करके इस दबे कुचले समाज को आगे बढ़ाने में योगदान किया. उन्होंने महात्मा गांधी के भारत लौटने से पहले दलितों के उद्धार के लिए आंदोलन चलाया. प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस देश का दुर्भाग्य रहा है कि किसी कारणवश समाज के लिए जीने वाले लोगों को भुला दिया गया है.'
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों में केरल में भाजपा का मत फीसद 6.4 से बढ़ कर 10.3 हो गया है. बीजेपी इसे और बढ़ाने के लिए प्रयासरत है और इसके लिए वह दलित और पिछड़े समाज पर विशेष ध्यान दे रही है. अय्यंककाली दलित समाज सुधारक थे और श्रीनारायण गुरु एझावा समुदाय के आध्यात्मिक नेता थे.