प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा के पुनर्जीवन को एक जनांदोलन का रूप देने की जरूरत पर जोर दिया है. पीएम ने कहा कि इस मिशन की पहली प्राथमिकता के तहत प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर रोक लगनी चाहिए.
गंगा पुनर्जीवन के लिए बनाई गई एकीकृत योजना 'नमामी गंगे' पर पहली उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मोदी ने कहा कि ‘निर्मल गंगा’ पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. इस ओर जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने ‘गंगा सेवा’ के लिए समर्पित समाज के विभिन्न तबकों की ताकत को एकजुट करने की कार्य-योजना बनाने की अपील की. मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि नदी के अलग-अलग हिस्सों का रखरखाव कर गंगा सेवा करने और जन जागरुकता पैदा करने के लिए देश भर के स्वयंसेवकों की टीम बनाई जा सकती है.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि mygov वेबसाइट पर मंगाए गए लोगों के सुझावों को ध्यानपूर्वक अध्ययन किया जाना चाहिए. पीपीपी मॉडल के जरिए देशभर में 500 शहरी केंद्रों में ठोस कचरा प्रबंधन और व्यर्थ जल प्रबंधन को लेकर अपनी दृष्टि का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि पहली प्राथमिकता गंगा के किनारे बसे नगरों को दी जानी चाहिए. बैठक में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, उमा भारती, प्रकाश जावड़ेकर और निर्मला सीतारमन समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया.