भारतीय जनसंघ के संस्थापक और पूर्व सांसद श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के अलावा कई नेताओं ने संसद भवन में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया.
The Prime Minister and other eminent dignitaries paid tributes to Dr. Syama Prasad Mookerjee in Parliament. pic.twitter.com/m7ilq5iEWC
— PMO India (@PMOIndia) July 6, 2018
On his Jayanti, I bow to Dr. Syama Prasad Mookerjee .
Dr. Mookerjee is remembered as a fine educationist, a wonderful administrator and a stalwart who fought for India's freedom as well as unity. pic.twitter.com/vBtYKbN9S7
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2018
मोदी ने ट्वीट कर कहा, "डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूं. उन्हें बेहतरीन शिक्षाविद्, अद्भुत प्रशासक और एक मजबूत शख्स के रूप में याद किया जाता है जो भारत की आजादी के साथ-साथ एकता के लिए भी लड़े."
Sharing a picture of Dr. Syama Prasad Mookerjee with Dr. Babasaheb Ambedkar. Both were Ministerial colleagues and had a futuristic vision for India's growth. pic.twitter.com/WxyjKbyz26
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2018
मोदी ने मुखर्जी के साथ बाबा साहेब अंबेडकर की एक तस्वीर भी साझा की और कहा कि ये वे लोग थे जिनके पास भारत के विकास के लिए भविष्यवादी दृष्टि थी. मुखर्जी एक बैरिस्टर और अकादमिक थे. वह आजादी के बाद पहली कैबिनेट में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री थे. उन्होंने 1951 में भारतीय जन संघ की स्थापना की, जो बाद में 1980 में भारतीय जनता पार्टी बनी.
कौन थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी?
वर्ष 1901 में आज ही के दिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था. 1977 में भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ. जनता पार्टी सत्ता में आई लेकिन आपसी मतभेद इस कदर बढ़ी की 2 साल बाद ही 1979 में सरकार गिर गई और इसके बाद 1980 में जिस पार्टी का जन्म हुआ उसका नाम था- भारतीय जनता पार्टी.
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पिता सर आशुतोष मुखर्जी बंगाल के एक जानेमाने व्यक्ति थे इसलिए यह माना जा सकता है कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बचपन किसी भी तरह के अभाव से मुक्त रहा होगा. कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक और इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करने के बाद श्री मुखर्जी 33 वर्ष की आयु में उसी कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए जहां से उन्होंने स्नातक किया था.