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BRICS सम्मेलन के लिए ब्राजील रवाना हुए पीएम मोदी, चीन से बातचीत होगी अहम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में आपसी रिश्तों की इमारत में नई ईंट जोड़ने ब्राजील जा रहे हैं. इस शिखर सम्मेलन से अलग हटकर होने वाली बातचीत में सबसे ज्यादा उम्मीद भारत और चीन के बीच होने वाली बातचीत से है. मोदी ने रविवार करीब 11 बजे ब्राजील के लिए विशेष विमान एयर इंडिया-1 से उड़ान भरी.

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PM नरेंद्र मोदी
PM नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में आपसी रिश्तों की इमारत में नई ईंट जोड़ने ब्राजील जा रहे हैं. इस शिखर सम्मेलन से अलग हटकर होने वाली बातचीत में सबसे ज्यादा उम्मीद भारत और चीन के बीच होने वाली बातचीत से है. मोदी ने रविवार करीब 11 बजे ब्राजील के लिए विशेष विमान एयर इंडिया-1 से उड़ान भरी.

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अपने शपथ ग्रहण से ही दुनियाभर के देशों से भारत के नए रिश्तों की शुरुआत करने वाले पीएम मोदी पहले अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में शिरकत करने ब्राजील रवाना हो रहे हैं. भूटान यात्रा के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी की दक्षेस से बाहर ये पहली अहम यात्रा है. इस यात्रा के दौरान जिन मुद्दों पर चर्चा होगी उनमें आर्थिक सहयोग, पर्यावरण, रक्षा सहयोग मजबूत करने के साथ ही ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के बीच तकनीकी साझेदारी कैसे मजबूत की जाए इस पर भी चर्चा होगी.

इस सम्मेलन में भारत की ओर से पीएम की कोशिश तो यही है कि बड़ी अर्थव्यवस्था और प्रचुर संसाधनों से लबरेज ये पांच देश विश्व के विकसित देशों के मुकाबले मजबूत विकल्प बन कर उभरें. इस बारे में पीएम मोदी ने कई बार पड़ोसी देशों के साथ बातचीत में भी साफ संकेत दिए हैं कि मुद्दा आर्थिक हो या पर्यावरण से जुड़ा हमें अपनी बातें मजबूती से रखनी हैं.

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वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर के मुताबिक, विकासशील देशों की ओर से मजबूत संदेश जाएगा. ब्राजील यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आर्थिक जगत सिर्फ आयात निर्यात तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ये पर्यावरण और अन्य मुद्दों से भी जुड़ा है.' ब्राजील में शिखर सम्मेलन से अलग हटकर ब्रिक्स के अन्य चारों साथी सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों के साथ पीएम मोदी की अलग-अलग बातचीत भी होगी. लेकिन इनमें सबसे अहम होगी चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग के साथ मोदी की बातचीत.

दोनों दिग्गजों के बीच पहली बार होने वाली बातचीत में उम्मीद की जा रही है कि कई अहम मसले उठेंगे-

- बातचीत दो स्तरों पर होने की उम्मीद है, अव्वल तो आर्थिक मुद्दे और दूसरे सुरक्षा मुद्दे.
- आर्थिक मुद्दों में आपसी व्यवसायिक रिश्तों को मजबूत करने के उपायों पर जोर होगा.
- फिलहाल भारत चीन से करीब 70 बिलियन डॉलर का माल आयात करता है.
- नई सरकार चाहती है कि आयात में कमी आए और निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं और उपायों पर चर्चा हो.
- पीएम मोदी की कोशिश रहेगी कि चीन से भारत में औद्योगिक निवेश बढ़ाने की बात आगे बढ़े, जिससे जो बड़े सामान चीन से आयात किए जाते हैं उनका निर्माण चीन के सहयोग से भारत में ही हो. इससे जहां युवाओं को रोजगार मिलेगा वहीं चीजें भी सस्ती मिलेंगी. पीएम मोदी इस बाबत पहले भी कई बार चीन की यात्रा कर जायजा ले चुके हैं.
- नत्थी वीजा पर चीन के अड़ियल रवैये को भी इस बातचीत में अहमियत मिलने की उम्मीद है.
- जाहिर है कि दोनों देशों के शासनाध्यक्ष आमने-सामने होंगे तो सीमा विवाद और घुसपैठ के मामले जरूर उठेंगे हालांकि पाकिस्तान से उलट चीन के साथ ये संतोष की बात है कि दोनों देशों के बीच बातचीत और सेना के साझा अभ्यास भी चलते हैं. दोनों देशों के सैन्य सचिव, आला सैन्य अधिकारी भी एक-दूसरे के यहां आते-जाते रहते हैं.
- लेकिन चीन एक ओर बातचीत भी करता है, सद्भावना भी जताता है लेकिन उसके सैनिक घुसपैठ भी कर जाते हैं या कुछ ऐसे बयान आ जाते हैं जिससे रिश्तों का जायका बिगड़ने लगता है.
दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों को साधने के बाद अब पीएम मोदी विश्व सियासत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को बेताब हैं. जाहिर है कि इस शिखर सम्मेलन में भी पीएम मोदी अपने सुझावों का पिटारा खोलेंगे. शिखर सम्मेलन के हाशिये पर प्रधानमंत्री की मेजबान ब्राजील की राष्ट्रपति डेल्मा रुसौफ के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा से मुलाकात संभव है. इसके अलावा आधा दर्जन से ज्यादा लैटिन अमेरिकी देशों के नेताओं से भी मुलाकात का मौका पीएम मोदी को मिलेगा, साथ ही इस दो दिवसीय सम्मेलन में ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना, जलवायु परिवर्तन के बुरे असर से निपटने के उपाय, विश्व व्यवस्था में अमेरिकी असर को कम करने के लिए आपसी सहयोग और साझेदारी बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा होगी.

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शशि शेखर के मुताबिक, 'लोकसभा चुनाव में नायक बने नरेंद्र मोदी की प्रबंधन प्रतिभा की कायल अब पूरी दुनिया है. कूटनीतिक उपाय पर भी वाहवाही हो रही है.' मोदी की यात्रा पिछले सभी प्रधानमंत्रियों की पारंपरिक विदेश यात्राओं से हटकर होगी और पीएम के साथ मीडिया का दल बहुत सीमित होगा, यानी इस बदलाव को भी नई शुरुआत के तौर पर ही देखा जा रहा है.

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