एक तरफ जहां दलितों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान निर्माता भीम राव अंबेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अंबेडकर के नाम के साथ सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं.
सूत्रों के हवाले से खबर है 14 अप्रैल को अंबेडकर जंयती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के बीजापुर से विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना- आयुष्मान भारत मिशन (National Health Protection Mission) की शुरुआत करेंगे.
इस योजना से देश के 10 करोड़ परिवारों के लिए 5 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा. इस योजना से कुल 10.74 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा. इस योजना का लाभ गरीबों और वंचितों को मिलने के दावे किए जा रहे हैं.
योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आंकड़ों के आधार पर होगी. सूत्रों की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस योजना को यूपीए की MNREGA जैसे कार्ड के रूप में देखा जा रहा है.
हाल में दलितों के मुद्दे पर विपक्ष मोदी सरकार और बीजेपी की घेराबंदी कर रहा है. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एक्ट में बदलाव वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खासकर दलितों में मौजूदा सरकार के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है. जिसका असर 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान भी देखने को मिला. हालांकि, सरकार दलितों के विरोध के बाद बैकफुट पर आ गई है और उसने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है.
दूसरी तरफ यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्य में भीम राव अंबेडकर की प्रतिमाओं को तोड़ने की घटनाएं भी विपक्ष को बीजेपी को घेरने का मौका दे रही हैं. इतना ही नहीं बीजेपी के अपने सांसद और केंद्र सरकार में सहयोगी दल और उनके दलित नेता भी कानून में बदलाव और आरक्षण जैसे मुद्दों पर बहस के दौरान मोदी सरकार से दूर खड़े नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और मोदी सरकार दलितों के गुस्से को शांत करने का हर मुमकिन प्रयास करते नजर आ रहे हैं.