कबीर की निर्वाण स्थली "मगहर" की वजह से मायावती ने इस जिले का नाम ही संतकबीरनगर तो रख दिया लेकिन वो कबीरधाम का सौंदर्यीकरण नहीं कर पाईं. प्रधानमंत्री मोदी ने इस का बीड़ा उठाया है और पूर्वांचल के संत कबीर नगर से एक नई सियासी संदेश देने की कोशिश की जा रही है.
प्रधानमंत्री गुरुवार को तकरीबन ढाई घंटे के लिए संत कबीर नगर के मगहर पहुंचेंगे. मगहर कबीर धाम के तौर पर जाना जाता है जहां कबीर ने निर्वाण लिया था. यहां 28 जून को संत कबीर दास की 500वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रधानमंत्री कबीरपंथियों को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री 24 करोड़ से बनने वाला संत कबीर अकादमी देने जा रहे हैं. पार्क और पुस्तकालय के अलावा कबीर पर शोध का संस्थान भी होगा.
"मगहर" के इस कबीरधाम को प्रधानमंत्री के आने के पहले जबरदस्त तरीके से सजाया संवारा जा रहा है. जिस जगह पर झाड़ियां और गंदगी का अंबार था वहां ये कबीर धाम एक पर्यटक स्थल की तरह दिखाई दे रहा है.
कबीरदास के समाधि और मंदिर के महंत विचार दास कहते हैं कि प्रधानमंत्री के इस कदम को करोड़ों कबीरपंथी देख रहे हैं जो काम किसी ने नहीं किया वह प्रधानमंत्री ने किया है ऐसे में उनका साथ देना लाजमी है राजनीतिक रूप से भी BJP जिनके लिए अछूत थी, वह भी मोदी के इस कदम के बाद उनके साथ होंगे.
इस मजार के मुतवल्ली खादिम भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि यहां आकर प्रधानमंत्री हिंदू और मुसलमानों का दिल जीत रहे हैं जिसका सियासी फायदा उन्हें मिलने जा रहा है.
कबीर दास की जन्म स्थली के दर्शन करने और बड़ी सौगातें देने के बाद प्रधानमंत्री एक बड़ी जनसभा को भी संबोधित करेंगे इस जनसभा में पूर्वांचल के कई जिलों से लोग आएंगे जहां प्रधानमंत्री अपनी बात रखेंगे माना जा रहा है कि यही से पीएम दलितों और पिछड़ों को सियासी संदेश देंगे.