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नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में कल इनको मिल सकती है एंट्री, जानिए क्या है प्रधानमंत्री के दिल में...

पीएम 3 ऐसे सांसदो को मंत्री बना सकते हैं, जो पिछले कई साल से अपने सरकारी आवास से साइकिल चलाकर संसद पहुंच रहे हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार 5 जुलाई 2016 को दूसरी बार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं. पीएम ने इस बाबत अपने मंत्रियों से कामकाज का रिपोर्ट कार्ड मांगा था, जबकि अगले साल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. जाहिर तौर पर कैबिनेट विस्तार में इस बार इन दोनों बातों का साफ असर दिखने वाला है. मोदी मंत्रिमंडल में करीब 10 नए चेहरे शामिल हो रहे हैं, जबकि कई स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों का कद भी बढ़ेगा.

नए मंत्रियों के साथ ही चर्चा उन मंत्रियों को लेकर भी है, जिनकी मंत्रिमंडल से छुट्टी होने वाली है. दिलचस्प बात यह भी है कि पीएम 3 ऐसे सांसदो को मंत्री बना सकते हैं, जो पिछले कई साल से अपने सरकारी आवास से साइकिल चलाकर संसद पहुंच रहे हैं. आइए जानते हैं कि किन संभावित चेहरों को किस समीकरण के तहत मोदी के मंत्रिमंडल में जोड़ा-बढ़ाया-हटाया-घटाया जाएगा.

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1) डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, सांसद- चंदौली
डॉ. पांडेय वाराणसी से सटी चंदौली लोकसभा सीट से सांसद हैं. वाराणसी जिले की दो विधानसभा सीटें अजगरां और शिवपुर भी चंदौली लोकसभा में शामिल हैं. डॉ. पांडेय गाजीपुर जिले के मूल निवासी है. यानी एक साथ सीधे तीन जिलों में डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की सीधी राजनीतिक पकड़ है. पांडेय पूर्वी यूपी में बीजेपी के कद्दावर ब्राह्मण नेता हैं, लिहाजा पार्टी ने ब्राह्मण मतदाताओं को महेंद्र नाथ के जरिए सीधा संदेश दे दिया है. यूपी में चुनाव के मद्देनजर इसके जरिए बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा के प्रभाव से ब्राह्मणों को बाहर निकालकर बीएसपी को शक्तिहीन करने की योजना है.

डॉ. पांडेय काशी हिंदू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महामंत्री रहे चुके हैं. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक भी रहे. मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री कलराज मिश्र की बढ़ती उम्र की वजह से भी महेंद्र नाथ पांडेय को तरक्की मिल रही है. महेंद्र नाथ पांडेय और कलराज मिश्र दोनों ही गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं. दोनों आपस में रिश्तेदार भी हैं. महेंद्र नाथ पांडेय कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री काल में यूपी में अनेक विभागों के मंत्री रहे चुके हैं. यूपी सरकार में मंत्री रहते हुए पूर्वांचल को अनेक बड़ी विकास योजनाओं की सौगात दिलाने में महेंद्र ने अहम रोल अदा किया. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के भी वो चहेते हैं.

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2) अनुप्रिया पटेल, सांसद- मिर्जापुर
अनुप्रिया पटेल बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के टिकट पर मिर्जापुर से लोकसभा सदस्य चुनी गईं. इसके पहले वो वाराणसी लोकसभा की रोहनियां विधानसभा सीट से विधायक भी रहीं. अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल पूर्वी यूपी में पटेलों के बीच सबसे कद्दावर नेता के रूप में जाने गए. बीती 2 जुलाई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अनुप्रिया की ओर से आयोजित अपना दल की बड़ी रैली में भी हिस्सा लिया.

अपना दल में वर्चस्व की लड़ाई में अनुप्रिया पटेल का टकराव अपनी मां और बहन से है. मोदी सरकार में मंत्री बनते ही अपना दल के कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से को साथ लाने में अनुप्रिया को बड़ी ताकत मिलेगी. यूपी के विधानसभा चुनाव में पटेल वोटों को बीजेपी एकमुश्त अपने पाले में खड़ा करना चाहती है. अनुप्रिया के जरिए बीजेपी अपनी इसी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी है.

3) अजय टम्टा, सांसद- अल्मोड़ा
महज 43 साल के दलित नेता अजय टम्टा उत्तराखंड की अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से बीजेपी के युवा सांसद हैं. वह सोमेश्वर सीट से विधायक भी रहे हैं. उत्तराखंड बीजेपी सरकार में मंत्री भी रहे हैं. उत्तराखंड में अनेक वरिष्ठ सांसदों के होते हुए टम्टा को मंत्रिमंडल में लिए जाने का संकेत साफ है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में नए चेहरों पर ज्यादा दांव लगाएगी. टम्टा को मंत्रिमंडल में लिए जाने का संकेत ये भी हैं कि उत्तराखंड में अनुसूचित जाति-जनजाति के मतों की गोलबंदी के लिए बीजेपी ने गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं.

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4) रामदास अठावले, राज्यसभा सांसद
महाराष्ट्र के कद्दावर दलित नेता रामदास अठावले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं. राज्यसभा के मौजूदा सांसद अठावले को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल कर बीजेपी अंबेडकर विचारधारा के करीबी नेताओं को मायावती के मुकाबले आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है. अगले साल मुंबई में महानगरपालिका के चुनाव के लिए आठवले ने बीजेपी के साथ गठबंधन का भी ऐलान किया है. बीजेपी यूपी में भी बीएसपी के खिलाफ दलित वोटों और दलित नेताओं की गोलबंदी में आठवले को टारगेट देने की तैयारी कर चुकी है.

5) अर्जुन राम मेघवाल, सांसद- बीकानेर
लोकसभा में बीजेपी के चीफ व्हिप, हाउसिंग कमेटी के चेयरमैन अर्जुन राम मेघवाल अवकाश प्राप्त प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं. राजस्थान के मंत्री निहालचंद मेघवाल को मंत्रिमंडल से मुक्त करने के बाद उनकी भरपाई अर्जुनराम मेघवाल से की जा रही है. अर्जुन राम मेघवाल तेज तर्रार दलित नेता हैं. संसद में वो अक्सर साइकिल से भी आते हुए देखे गए हैं. वो आरएसएस के भी चहेते हैं. हाल ही एएमयू से जुड़ी सेमिनार में भी उन्होंने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया.

6) पीपी चौधरी, सांसद- पाली
राजस्थान के पाली से सांसद हैं पीपी चौधरी. बतौर सांसद पीपी चौधरी ने लोकसभा की कार्रवाई में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड सवाल पूछने और प्राइवेट बिल पेश करने में रिकॉर्ड कायम किया. लोकसभा में अब तक वह 398 प्रश्न पूछ चुके हैं. उनकी उपस्थिति 98 फीसद से ज्यादा है. संसद की बहस में वह पूरी तैयारी से भाग लेते हैं. 121 बार लोकसभा की कार्रवाई में उन्होंने हिस्सा लिया. उन्हें दो बार सांसद रत्न अवॉर्ड भी मिल चुका है. उनके इस प्रदर्शन ने जहां प्रधानमंत्री को प्रभावित किया, वहीं जाट आरक्षण में तमाम पक्षों से बातचीत में भी उनका रोल संकटमोचक के तौर पर सामने आया.

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सांवरलाल जाट को मंत्रिमंडल से मुक्त करने के बाद पीपी चौधरी उनकी भरपाई मंत्रिमंडल में बेहतर तरीके से कर सकते हैं.

7) पुरुषोत्तम रूपाला, राज्यसभा सांसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दाहिने हाथ के रूप में पुरुषोत्तम रूपाला ने गुजरात बीजेपी में पहचान बनाई. वो लंबे समय तक गुजरात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. अमित शाह की टीम में वह केंद्रीय उपाध्यक्ष के रूप में शामिल किए गए. पाटीदार समाज के वो कद्दावर नेता माने जाते हैं, हालांकि मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल से उनके रिश्ते उतने मधुर नहीं बताए जाते. गुजरात में सत्ता संतुलन को साधने की कवायद के तहत पुरुषोत्तम रूपाला को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल रही है ताकि पटेल समुदाय पर आनंदीबेन पटेल की पकड़ कमजोर होने की दशा में पुरुषोत्तम रूपाला के चेहरे की मजबूती कायम रखी जा सके.

8) कृष्णा राज, सांसद- शाहजहांपुर
यूपी की शाहजहांपुर सुरक्षित सीट से बीजेपी सांसद. दो बार शाहजहांपुर की मोहम्मदी सीट से विधायक भी रहीं. बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री भी रहीं. यूपी की तेज तर्रार महिला नेताओं में गिनती. पूर्व सांसद फूलनदेवी के पति उम्मेद सिंह को चुनाव में पटखनी दे चुकी हैं. बीजेपी पिछड़े और दलित समुदाय में कृष्णा राज की पैठ का इस्तेमाल यूपी चुनाव में करेगी.

9) अनिल माधव दवे, राज्यसभा सांसद
अनिल माधव दवे मध्य प्रदेश से तीसरी बार राज्यसभा सांसद हैं. वह मूल रूप से आणन्द गुजरात के रहने वाले हैं और नर्मदा अभियान से पिछले कई दशकों से जुड़े हुए हैं. अनिल माधव लंबे समय तक संघ के प्रचारक रहे हैं. नर्मदा अभियान में सक्रिय होने की वजह से पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब अनिल माधव दवे की भाषण कला के साथ-साथ उनकी कार्यशैली से प्रभावित रहे हैं. अनिल माधव दवे मध्य प्रदेश में पिछले दो विधानसभा चुनावों से प्रचार समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं. अनिल माधव दवे के बारे में कहा जाता है कि अब तक वह हमेशा पर्दे के पीछे रहे हैं. यानी पहली बार उन्हें सरकार फ्रंट में लाने का काम कर रही है. अनिल उन सांसदों में शुमार हैं, जो साइकिल से संसद पहुंचते हैं.

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10) मनसुखभाई मंडवीय, राज्यसभा सांसद
मनसुखभाई मंडवीय इस समय गुजरात बीजेपी में महामंत्री हैं. पीएम मोदी ने 2013 में सौराष्ट्र में बीजेपी के जिलाअध्यक्ष रहते हुए राज्यसभा में इसलिए भेजा था कि 2012 में सौराष्ट्र में बीजेपी के केशुभाई पटेल के जाने के कारण बीजेपी वहां पर कमजोर हो चुकी थी. लेकिन मनसुखभाई ने वहां पार्टी को मजबूत किया था सौराष्ट्र में पार्टी को उम्मीद से ज्यादा सीट मिली थीं. गुजरात में 2017 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने मनसुखभाई मंडवीय को अपने मंत्रिमंडल में लेने का फैसला लिया है. ये माननीय भी संसद आने-जाने के लिए साइकिल की सवारी करते हैं.

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