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उज्ज्वला योजना: गैस सिलेंडर के साथ मिलता है 50 लाख का इंश्योरेंस, जानिए कैसे?

एक सर्वे के मुताबिक, हिंदुस्तान में हर साल कम से कम 100 सिलेंडर फटने की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन अक्सर लोग इसके मुआवजे से सिर्फ इसलिए वंचित रह जाते हैं, क्योंकि उनको इसकी जानकारी नहीं होती है.

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प्रतीकात्मक फोटो (फाइल फोटो-Aajtak)
प्रतीकात्मक फोटो (फाइल फोटो-Aajtak)

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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाले गैस सिलेंडर के साथ 50 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस एकदम फ्री मिलता है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर खाना बनाने के दौरान एलपीजी सिलेंडर फट जाता है या कोई हादसा हो जाता है, तो पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है.

एक सर्वे के मुताबिक, हिंदुस्तान में हर साल कम से कम 100 सिलेंडर फटने की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन अक्सर लोग इसके मुआवजे से सिर्फ इसलिए वंचित रह जाते हैं, क्योंकि उनको इसकी जानकारी नहीं होती है.

यह मुआवजा इंश्योरेंस कंपनी देती है. इसके लिए एलपीजी कंपनियां अपने कंज्यूमर के लिए इंश्योरेंस कंपनियों से पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी लेती हैं. यह थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होता है. इसके लिए एलपीजी कंपनियां हर साल इंश्योरेंस कंपनियों को मोटी रकम देती हैं.

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इसके लिए कंज्यूमर को कोई पैसा नहीं देना होता है. इस पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत व्यक्ति विशेष के नाम इंश्योरेंस नहीं होता है, बल्कि उस एलपीजी कंज्यूमर और उसके परिवार के लिए होता है, जिसके साथ कोई हादसा होता है.

इसका मतलब यह हुआ कि अगर कंज्यूमर के साथ कोई हादसा होता है, तो पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत इंश्योरेंस कंपनियां पीड़ित और उसके परिवार को मुआवजा देती हैं. अगर पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने में कंपनियां आनाकानी करती हैं या पीड़ित पक्ष मुआवजा राशि से संतुष्ट नहीं है, तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.

एलपीजी सिलेंडर से कोई हादसा होने पर कोर्ट मुआवजा की राशि पीड़ित की उम्र, आय और अन्य शर्तों के आधार पर तय करता है.

आमतौर पर देखा जाता है कि एलपीजी सिलेंडर फटने से घर को नुकसान होता है, घर के सदस्यों को चोट आती है और कई बार लोगों की मौत तक हो जाती है. यहां पर मुआवजा नुकसान के आधार पर तय किया जाता है.

मुआवजा की रकम इंश्योरेंस कंपनियां देती हैं, लेकिन इसके लिए पीड़ित को क्लेम करना पड़ता है. अगर पीड़ित पक्ष इस मुआवजे के लिए क्लेम नहीं करता है, तो उसको मुआवजा नहीं मिलता है. इसकी वजह यह है कि इंश्योरेंस कंपनियां यह मुआवजा पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत देती हैं, जिसमें किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं होता है. लिहाजा क्लेम करने वाले को ही मुआवजा मिल पाता है.

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