एक के बाद एक हुए माओवादियों के हमलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को वामपंथी उग्रवाद की समस्या को जल्द से जल्द और ठोस कार्रवाई कर समाप्त करने पर जोर देते हुए कहा कि भारत की सत्ता को चुनौती देने वालों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी.
वामपंथी उग्रवाद को देश की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष सबसे गंभीर खतरा बताते हुए सिंह ने कहा, हाल की घटनाएं इस बात को रेखांकित करती हैं कि इस समस्या के जड़ से खात्मे के लिए त्वरित और ठोस कार्रवाई की जरूरत है.
नई दिल्ली में नागरिक सेवा दिवस का शुभारंभ करते हुए सिंह ने कहा, जिन लोगों ने भारत की सत्ता और हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था के ताने बाने को चुनौती देने का दुस्साहस किया है उन्हें कोई रियायत नहीं दी जा सकती.
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब 6 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के चितनगुपा में माओवादियों के अब तक के सबसे भीषण हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 75 कर्मी शहीद हो गये थे. इस हमले में राज्य पुलिस बल का एक जवान भी शहीद हुआ था. {mospagebreak}
उन्होंने जोर दिया कि वामपंथी चरमपंथ देश के अल्प विकसित क्षेत्रों में पनप रहा है. इसी के परिप्रेक्ष्य में सिंह ने अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश का कोई भी क्षेत्र सरकार के विकास कार्यक्रमों और योजनाओं से वंचित न रह जाए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य तथा बुनियादी ढांचा निर्माण के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का महत्वपूर्ण भूमिका है. सिंह ने कहा कि समावेशी विकास हमारे आर्थिक एजेंडा का केंद्र बिंदु है. तीव्र आर्थिक विकास हमें गरीबी और बीमारियों से निपटने के हमें संसाधन उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा कि विशेषतौर पर राज्यों में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के समक्ष इन समस्याओं के समाधान की व्यापक चुनौतियां है.
सिंह ने अधिकारियों से कहा ‘आपको सूचना एवं प्रौद्योगिकी को साधन के रूप में उपयोग करना और जरूरतमंदों को मदद करने के लिए नवोन्मेषी तरीके विकसित करने हैं ताकि भ्रष्टाचार की शिकायतों और पारदर्शिता का अभाव जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा मध्यावधि लक्ष्य अर्थव्यवस्था की वाषिर्क विकास दर को 9 प्रतिशत करना है. इस लक्ष्य को पाने में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है ताकि उद्यमिता और नवोन्मेष को बढ़ावा देकर उपयुक्त वातावरण तैयार किया जा सके. {mospagebreak}
उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे इस राष्ट्रीय प्रयास पर विशेष ध्यान दें और शुष्क भूमि, वर्षा आधारित कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करें. सिंह ने कहा, ‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि देश का कोई भी भाग हमारी विकास की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लाभ से वंचित न रह जाए.’ उन्होंने कहा, ‘सामाजिक और आर्थिक विषमताएं हमारे समाज को जकड़े हुए हैं और जबतक इन्हें त्वरित और प्रभावी तरीके से समाप्त नहीं किया जाता तेज आर्थिक वृद्धि का बहुत अधिक अर्थ नहीं रह जाएगा.’
सिंह ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद भारत ने 2008-09 के दौरान सम्मानजनक वृद्धि दर हासिल की. उन्होंने कहा, ‘वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है और 2010-11 के लिए हमारा लक्ष्य 8.25 फीसदी है.’ सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की वाषिर्क वृद्धि दर को नौ फीसदी के लक्ष्य तक पहुंचाना है.