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'सोनिया गांधी नहीं देखती थीं PMO की फाइलें'

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आज प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू के इस बयान को निराधार और शरारतपूर्ण कहकर खारिज कर दिया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पीएमओ की फाइलें देखती थीं. 

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सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
सोनिया गांधी (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आज प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू के इस बयान को निराधार और शरारतपूर्ण कहकर खारिज कर दिया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पीएमओ की फाइलें देखती थीं. पीएमओ के प्रवक्ता पंकज पचौरी ने एक बयान में कहा, 'प्रधानमंत्री के एक पूर्व मीडिया सलाहकार के हवाले से बयान दिया जा रहा है कि पीएमओ की फाइलें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी देखती थीं, जो पूरी तरह निराधार और शरारतपूर्ण है. स्पष्ट रूप से इस बात को खारिज किया जाता है कि पीएमओ की कोई भी फाइल कभी भी सोनिया गांधी को दिखाई गई थी.

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प्रवक्‍ता बारू की पुस्तक 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर-द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' में किये गये दावों पर और मीडिया में की गयी इन टिप्पणियों पर जवाब दे रहे थे कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी पीएमओ के महत्वपूर्ण फैसलों पर सोनिया से निर्देश मांगते थे. बारू की निंदा करते हुए पीएमओ के बयान में कहा गया है, पूर्व मीडिया सलाहकार द्वारा लिखी गयी किताब श्रेय हासिल करने के लिए और जाहिर तौर पर व्यावसायिक फायदे के लिए उसे भुनाने के मकसद से एक विशेषाधिकार वाले पद तथा उच्च पद तक पहुंच का दुरुपयोग करने का प्रयास है. पचौरी ने कहा, इस टीका-टिप्पणी में पूर्व सलाहकार की कल्पनाओं और रंगीन विचारों का चटखारा लिया गया है.

बयान में दोहराया गया है, पूर्व मीडिया सलाहकार की टिप्पणियों के बारे में पिछले साल अक्तूबर में वरिष्ठ संपादकों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान सवाल उठाया था. इस पर प्रधानमंत्री का जवाब था कि वह जो कह रहे हैं, उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए. बारू के दावों के हवाले से सोनिया और मनमोहन पर विपक्ष के हमले के बाद पीएमओ का बयान आया है.

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बारू ने पुस्तक में लिखा है, 'सोनिया गांधी के कहने पर मनमोहन सिंह के पीएमओ में शामिल किये गये पुलक नियमित और लगभग हर रोज सोनिया गांधी से मुलाकात करते थे जिसमें उन्हें दिन के सभी नीतिगत मुद्दों पर जानकारी देनी होती थी और प्रधानमंत्री द्वारा मंजूर कराई जाने वाली महत्वपूर्ण फाइलों पर निर्देश मांगने होते थे.' बारू ने कहा, 'दरसअल पुलक प्रधानमंत्री और सोनिया के बीच नियमित संपर्क की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी थे. वह सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय सलाहकार समिति एनएसी के साथ संपर्क के लिए भी पीएमओ के मुख्य सूत्र थे जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य हैं. इसे कई बार शैडो कैबिनेट की संज्ञा दी गई.'

किताब पर उठे विवाद के बीच बारू ने कहा, यह कोई छिपी हुई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि यह भलीभांति विदित है कि पुलक चटर्जी उस समय सोनिया गांधी के सचिव थे जब वह विपक्ष की नेता थीं. वह सोनिया की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ भी काम कर चुके हैं. बारू ने पीएमओ से 2008 में इस्तीफा दिया था जबकि चटर्जी 2011 में पीएमओ पहुंचे. बारू ने कहा, वह काफी हद तक परिवार का हिस्सा थे. मैंने यह सब देखा तो नहीं कि वह खुद फाइलें देखती थीं या नहीं। मुझे यह पता है कि उनसे मुद्दों पर सलाह ली जाती थी और वह उनकी सहमति लेते थे.

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