प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन रिट याचिकाओं के जवाब में इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर अपने हलफनामे के रिकॉर्ड को देने से इनकार कर दिया है, जिसमें विवादास्पद भूमि सौदों के मामले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आरोपों की जांच की मांग की गई है. पीएमओ ने इन रिकॉर्डों को ‘गोपनीय’ बताकर देने से इनकार कर दिया है.
लखनऊ की आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने पिछले साल इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष रिट याचिका दायर की थी, जिसमें अरविंद केजरीवाल द्वारा वाड्रा के खिलाफ भूमि सौदों में अनियमितता के आरोपों की जांच की मांग की गई थी.
इसे पीठ ने तब खारिज कर दिया था, जब केंद्र की तरफ से उपस्थित अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल मोहन पाराशरण ने कहा था कि याचिका समाचार पत्र की खबरों पर आधारित है, जिसे सही नहीं माना जा सकता.
अपने हलफनामे में पीएमओ ने वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुए भूमि सौदों में अनियमितता के आरोपों को ‘गलत, सुनी-सुनाई बातों पर आधारित और संताप देने वाला’ बताया था. ठाकुर ने अपने आरटीआई आवेदन के जरिए पीएमओ द्वारा हाई कोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे के संबंध में सभी फाइल नोटिंग्स को जानना चाहा था. उन्होंने अपनी याचिका मिलने के बाद शीर्ष कार्यालय द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहा था.
अपने पहले आवेदन में पीएमओ ने दावा किया है कि चूंकि मामला अदालत में ‘विचाराधीन’ है, इसलिए रिकॉर्ड्स का खुलासा नहीं किया जा सकता. उन्होंने दलील दी कि इस तरह के विवरणों को तभी रोककर रखा जा सकता है, जब अदालत की तरफ से खुलासा नहीं करने के बारे में स्पष्ट आदेश हो.
बाद में पीएमओ ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मद्देनजर कार्यालय ने छूट मांगी है, क्योंकि मामला गोपनीय है.’