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व्यापम मामले में PMO की ओर से हुई कार्रवाई सार्वजनिक होगी

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से की गई शिकायत पर हुई कार्रवाई जल्दी ही सार्वजनिक की जाएगी.

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व्यापम घोटाले की जांच अब भी जारी है
व्यापम घोटाले की जांच अब भी जारी है

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से की गई शिकायत पर हुई कार्रवाई जल्दी ही सार्वजनिक की जाएगी.

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यह खुलासा प्रधानमंत्री कार्यालय के निदेशक और अपील अधिकारी सैयद इकराम रिजवी ने RTI कार्यकर्ता अजय दुबे को पत्र लिखकर किया है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 18 मार्च 2015 को मुलाकात कर व्यापम परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की दस्तावेजों के साथ शिकायत की थी. इस शिकायत पर पीएमओ द्वारा की गई कार्रवाई का RTI के तहत अजय दुबे ने ब्योरा मांगा था.

अजय दुबे ने बुधवार को कहा, 'उन्होंने जून 2015 में पीएमओ से व्यापम को लेकर दिग्विजय सिंह द्वारा की गई शिकायत पर हुई कार्रवाई का ब्योरा मांगा, तो प्रधानमंत्री कार्यालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए ब्योरा देने से इनकार कर दिया कि इसे कई स्थानों से जमा किया जाना है.'

दुबे के अनुसार इस पर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के अपील अधिकारी के यहां अपील की. दुबे ने अपील अधिकारी से व्यक्तिगत उपस्थित होकर अपनी बात रखने का आवेदन किया, मगर उनकी अपील अधिकारी से 12 अक्टूबर को टेलीफोनिक कॉफ्रेंस हुई. उसके बाद अपील अधिकारी रिजवी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी को 15 दिन में चाही गई जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

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अपील अधिकारी रिजवी ने अपने फैसले में केद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिए गए सभी तर्कों से असहमति जताते हुए कहा है कि उनकी ओर से जो तर्क दिए गए थे, वे सूचना देने से बचने के लिए हैं, लिहाजा केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी अभिलेखों की समुचित रूप से जांच करें और आवेदक को निश्चित समय सीमा में सूचना उपलब्ध कराएं.

दुबे ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और अधिवक्ता विवेक तनखा और कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्यापम परीक्षाओं से जुड़ी एक्सेल शीट और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज उचित जांच हेतु दिए थे.

ज्ञात हो कि व्यापम द्वारा राज्य के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले से लेकर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती परीक्षा आयोजित की जाती है. इन परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं. यह खुलासा वर्ष 2014 में हुआ.

इसके बाद इस प्रकरण की जांच पुलिस के विशेष कार्य दल (एसटीएफ) को सौंपी गई, उसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच की. अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है.

इस घोटाले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से लेकर व्यापम के कई अफसर सहित अनेक आरोपी जेल में हैं. वहीं इस मामले से जुड़े 50 लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. सीबीआई द्वारा सौ से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है.

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