प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले शिक्षक दिवस, फिर गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और अब 11 अक्टूबर को जय प्रकाश नारायण की जयंती पर मोदी शुरू करने जा रहे हैं सांसद आदर्श ग्राम योजना. इस योजना के तहत सांसदों को एक गांव गोद लेना होगा और ये सुनिश्चत करना होगा कि वहां के लोग गरीबी से बाहर आएं और इस मुहिम का केन्द्र बनेंगी ग्राम पंचायतें.
पीएम मोदी ने लाल किले के अपने 15 अगस्त के भाषण में सांसदों से एक साल में एक गांव गोद लेने की अपील की थी जिसे अमली जामा पहनाने का दिन करीब आ गया है. 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन के अवसर पर मोदी सांसद आदर्श ग्राम योजना को हरी झंडी देंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को न्यौता भेजा गया है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसका एक ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया है. इसके तहत ग्राम पंचायतों को विकास का केन्द्र बिंदू बनाया जाएगा.
ऐसे चुने जाएंगे आदर्श गांव
1. मैदानी इलाकों में 3000 से 5000 तक की आबादी को चुना जाएगा. पहाड़ी, आदिवासी और दुर्गम इलाकों में 1000 से 3000 हजार की आबादी और जिन इलाकों में इतनी आबादी नहीं वहां ग्राम पंचायतों को गांव चुनने का अधिकार दिया जाएगा.
2. हर सांसद एक गांव चुनने के लिए स्वतंत्र होगा लेकिन वो अपना या फिर अपनी पत्नी के गांव को गोद नहीं ले पाएगा.
3. लोकसभा सांसद को अपने क्षेत्र से गांव चुनना होगा और राज्यसभा सांसद जिन राज्यों से चुन कर आएं हैं वहां का गांव गोद ले सकते हैं. नामांकित सांसद देश के किसी भी जिले में गांव को गोद ले पाएंगे.
4. सांसद को तुरंत एक गांव गोद लेना होगा और थोड़े वक्त के बाद दो गांव और चुनने होंगे.
5. तीन गांव चुनने का मकसद है... मार्च 2019 तक 3 आदर्श गांव तैयार हो सकें. उसके बाद हर साल एक गांव के हिसाब से 2024 तक 5 और आदर्श गांव तैयार हो जाएंगे.
दरअसल गांव को गोद लेने के इस कार्य्रक्रम का मुख्य मकसद ही है कि गांव का हर घर गरीबी से बाहर निकल कर आए. ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि गांव के सभी लोग विकास के इस काम मे भागीदार बनें, और सुविधाएं भी ऐसी दी जाएंगी कि बाकी गांवों के लिए ये रोल मॉडल बन सकें. इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं तो दी ही जाएंगी लेकिन साथ में असमानता को कम करने और रोजगार के बेहतर अवसर भी प्रदान किए जाएंगे. हालांकि इसके लिए समय सीमा भी तय की जाएगी ताकि एक गांव में ये तमाम कार्यक्रम एक साल में पूरे हो जाएं. जैसे आदर्श गांव एक महीने में तय हो जाएं. इस गांव में जागरूकता अभियान का काम दो महीने में पूरा हो जाए, प्रथम चरण के काम तीन महीने में पूरे हो जाएं ओर 8 महीने में प्रोजेक्ट बना कर उसके लिए मंजूरी भी मिल जाए. नौवें महीने में काम काज शुरू हो जाए और एक साल के बाद काम का उसकी समीक्षा शुरू कर दी जाए.
सरकार ने इसमें आने वाली मुश्किलों को भी चिन्हित कर लिया है...
1. विकास के लिए किए जा रहे कामों और समाज की जरूरतों का दूर दूर तक वास्ता नहीं होता.
2. समाज के सभी वर्गों को भागीदार नहीं बनाया जाता. कई मौकों पर सुविधाएं ऐसी जगहों पर दे दी जाती हैं जिससे कई वर्ग अलग थलग पड़ जाते हैं. साथ ही राजनीतिक पक्षपात भी मुश्किलें बढ़ाता है.
3. पैसे के लिए सिर्फ सरकार पर निर्भर होना.
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इन मुश्किलों को दूर करने की पूरी कोशिश की है और योजना का ब्लू प्रिंट प्रधानमंत्री मोदी तक भेज दिया है. अब मोदी इसका औपचारिक ऐलान 11 अक्टूबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में करेंगे. ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी और शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.