scorecardresearch
 

PNB महाघोटाला: 3 आरोपियों को रिमांड, नीरव फरार, कैसे वसूल होंगे 11400 करोड़?

अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने मोदी, उसकी कंपनियों और रिश्तेदार मेहुल चोकसी के खिलाफ 31 जनवरी को दर्ज की गई अपनी प्राथमिकी के संबंध में तत्कालीन उप प्रबंधक गोकुलनाथ शेट्टी (अब सेवानिवृत्त), एकल खिड़की संचालक मनोज खराट और हेमंत भट्ट को हिरासत में लिया है.

Advertisement
X
सीबीआई
सीबीआई

Advertisement

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) महाघोटाले को लेकर एक के बाद एक परतें खुल रही हैं. वहीं, घोटाला मामले में पीएनबी के कर्मचारियों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. सीबीआई ने 11,400 करोड़ रुपये के कथित फर्जी लेन-देन के मामले में गिरफ्तार तीन लोगों को आज कोर्ट में पेश किया गया. इन तीनों पर फर्जीवाड़े को अंजाम देने का आरोप है. कोर्ट से इन तीनों की 14 दिन के लिए CBI रिमांड पर भेज दिया है. अब 3 मार्च तक CBI इन तीनों से कई राज उगलवाएगी. 

अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने मोदी, उसकी कंपनियों और रिश्तेदार मेहुल चोकसी के खिलाफ 31 जनवरी को दर्ज की गई अपनी प्राथमिकी के संबंध में तत्कालीन उप प्रबंधक गोकुलनाथ शेट्टी (अब सेवानिवृत्त), एकल खिड़की संचालक मनोज खराट और हेमंत भट्ट को हिरासत में लिया है. साथ ही पीएनबी के बड़े अधिकारियों को सीवीसी ने समन भी भेजा है.

Advertisement

6,498 करोड़ रुपये की होगी जांच

इस FIR में करीब 280 करोड़ रुपये के फर्जी लेन-देन के आठ मामले दर्ज हैं. लेकिन बैंक से आगे प्राप्त हुई शिकायतों के आधार पर सीबीआई ने कहा है कि पहले FIR में अब करीब 6,498 करोड़ रुपये की राशि की जांच की जाएगी, जो शेट्टी और खराट द्वारा कथित तौर पर फर्जी तरीके से 150 साख पत्र (लेओयू) जारी करने से जुड़ी है.

घोटाला कांग्रेस सरकार में, भागा मोदी सरकार में

हीरा व्यापारी नीरव मोदी किस राजनेता, किस राजनीतिक दल और किस नौकरशाह का करीबी था, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है. लेकिन इतना साफ है कि ये घोटाला बगैर बड़े लोगों की मिलीभगत के नहीं हो सकता. जिस समय पंजाब नेशनल बैंक से नीरव मोदी को एलओयू मिला, उस वक्त मनमोहन सिंह की सरकार थी और जिस वक्त वो हजारों करोड़ लेकर भाग गया उस समय केंद्र में मोदी सरकार थी.

जिस बैंक ने ली कर्ज वापसी की गारंटी, उसी को लगाया चूना

जिस बैंक ने हीरा कारोबारी नीरव मोदी की कर्ज वापसी की गारंटी ली, उसी बैंक को चूना लगाकर वो नौ दो ग्यारह हो गया और फिर बैंक वालों का रोना धोना शुरू हुआ. घोटाले पर पंजाब नेशनल बैंक ने बताया कि 2011 में ये फ्रॉड शुरू हुआ था. हमारे ही सिस्टम ने इसे डिटेक्ट करके पता लगाया. जैसे ही घटना का पता चला हमने जांच की और उनके खिलाफ कार्रवाई की.

Advertisement

7-8 साल से क्या कर रहा था बैंक

पंजाब नेशनल बैंक अपनी बेगुनाही का रोना रो रहा है लेकिन सवाल है कि 7-8 साल तक बैंक क्या कर रहा था. बैंक का कहना है कि उनकी तरफ से 29 जनवरी को मामले की जानकारी सीबीआई को दी गई. 30 जनवरी को एफआईआर हुई और फिर आगे की जांच शुरू हुई. लेकिन जांच से पहले ही नीरव मोदी देश छोड़कर परिवार समेत भाग चुका था. अब कांग्रेस और बीजेपी में इस बात पर घमासान मचा है कि ये भ्रष्टाचार और घोटाला किसका है.

'एक ब्रांच के 2 अधिकारियों ने किया कारनामा'

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे कांग्रेस का भ्रष्टाचार बताया है. उन्होंने कहा कि ये कांग्रेस का पाप है जिसे हमने उजागर किया है. इधर, पीएनबी ने सफाई दी है कि बैंक के सिर्फ एक ब्रांच और दो अधिकारियों ने ये सारा कारनामा किया. जबकि इस घोटाले में करीब 30 बैंकों का पैसा फंस गया है.

'आरोपियों पर चल रहा आपराधिक केस'

पीएनबी के एमडी सुनील मेहता ने कहा कि हमारे बैंक के जो स्टाफ मेंबर इसमें शामिल थे, उनमें से दो पर आपराधिक केस चला रहे हैं. किसी भी गलत काम को बढ़ावा नहीं देंगे, जो कैंसर है उसकी सर्जरी की जाएगी. पीएनबी क्लीन बैंकिंग के लिए कमिटेड है, हम इसे ठीक करेंगे.

Advertisement

घोटाला हुआ कैसे?

हीरा व्यापारी नीरव मोदी , उसके भाई निशाल मोदी, पत्नी अमि मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी तीन कंपनियों (डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट और स्टेलर डायमंडर्स) के मालिक हैं. इन कंपनियों के मालिक पीएनबी के एक ब्रांच के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का लेनदेन करते रहे. बैंक लोन के लिए ये फर्जी तरीके से पीएनबी के लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू का इस्तेमाल करते रहे. इसके जरिए उनको भारत के बाहर भी किसी बैंक के शाखा से लोन मिल जाता था. इस लोन का गारंटर पीएनबी था लेकिन पीएनबी के सिस्टम में ही इसकी कोई जानकारी नहीं थी.

Advertisement
Advertisement