सुशील कुमार चड्ढा उर्फ हुल्लड़ मुरादाबादी नहीं रहे. शनिवार की शाम करीब 4 बजे मुंबई स्थित आवास में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. इतनी ऊंची मत छोड़ो, क्या करेगी चांदनी, मसखरा यह अंदर की बात है, तथाकथित भगवानों के नाम जैसी हास्य कविताओं से भरपूर पुस्तकें लिखने वाले हुल्लड़ मुरादाबादी को कलाश्री, अट्टहास सम्मान, हास्य रत्न सम्मान जैसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
हुल्लड़ मुरादाबादी के निधन की खबर से कवि साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई. हुल्लड़ मुरादाबादी का जन्म 29 मई 1942 को गुजरावाला पाकिस्तान में हुआ था. बंटवारे के दौरान परिवार के साथ मुरादाबाद आ गए थे. पहले यहां किराए पर उनका परिवार रहने लगा. बाद में पंचशील कॉलोनी में उन्होंने अपना आवास बना लिया था. करीब 15 वर्ष पूर्व इस मकान को उन्होंने बेच दिया था और मुंबई में जाकर बस गए थे. परिवार में पत्नी कृष्णा चड्ढा के साथ ही युवा हास्य कवियों में शुमार पुत्र नवनीत हुल्लड़, पुत्री सोनिया एवं मनीषा हैं.
महानगर के केजीके कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करते हुए बीएससी की और हिंदी से एमए की डिग्री हासिल की. पढ़ाई के दौरान ही वह कॉलेज में सहपाठी कवियों के साथ कविता पाठ करने लगे थे. शुरुआत में उन्होंने वीर रस की कविताएं लिखी लेकिन कुछ समय बाद ही हास्य रचनाओं की ओर उनका रुझन हो गया और हुल्लड़ की हास्य रचनाओं से कवि मंच गुलजार होने लगे.
सन 1962 में उन्होंने 'सब्र' उप नाम से हिंदी काव्य मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. बाद में वह हुल्लड़ मुरादाबादी के नाम से देश दुनिया में पहचाने गए. फिल्म संतोष एवं बंधनबाहों में भी उन्होंने अभिनय किया था. भारतीयों के फिल्मों के भारत कुमार कहे जाने वाले मनोज कुमार के साथ उनके मधुर संबंध रहे हैं.