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पुलिस के पास अब तक नहीं है बंधकों की रिहाई की सूचना: नीलमणि

बिहार पुलिस ने रविवार को कहा कि उसे प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी द्वारा बंधक बनाए गए पुलिसकर्मियों की रिहाई के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं है.

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बिहार पुलिस ने रविवार को कहा कि उसे प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी द्वारा बंधक बनाए गए पुलिसकर्मियों की रिहाई के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं है.

संगठन के स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने सरकार की बातचीत के पेशकश को ठुकराते हुए शनिवार देर शाम तीनों बंधक पुलिसकर्मियों को रविवार सुबह रिहा करने को कहा था लेकिन प्रदेश पुलिस का कहना है कि उसके पास अभी तक इस बारे कोई सूचना नहीं है और अगवा पुलिसकर्मियों की तलाश का अभियान जारी है.

बिहार सरकार द्वारा पटना में आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद एक टीवी चैनल के जमुई स्थित स्थानीय पत्रकार को फोन पर इसकी सूचना देते हुए अविनाश ने सरकार के बातचीत की पेशकश को ठुकरा दिया और कहा कि उन बंधकों को पुलिस को सौंपने के बजाए वे आज सुबह आठ बजे तक उनके परिवार के सदस्यों के सुपुर्द कर देंगे.

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बिहार के पुलिस महानिदेशक नीलमणि और राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) ने बताया कि बंधकों को रिहा करने को लेकर उनके पास अबतक कोई अधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है और उनकी तलाश का आपरेशन जारी है.

द्विवेदी ने बताया कि टीवी चैनलों के माध्यम से इस आशय की सूचना मिलने पर लखीसराय, मुंगेर, जमुई, बांका और कैमूर के पुलिस अधीक्षकों को इस बारे में एलर्ट कर दिया गया है.

इस बीच, एक टीवी चैनल पर किशनजी नामक एक स्वयंभू नक्सली नेता को बंधक बनाए गए तीन पुलिसकर्मियों में से एक अभय के परिजनों से भेंट करते हुए दिखा गया है. किशनजी ने अभय की पत्नी रजनी यादव को आश्वासन दिया कि उनके पति शीघ्र ही घर पहुंच जाएंगे.{mospagebreak}

इस बीच, बंधक बनाए गए अवर निरीक्षक अभय यादव की पत्नी रजनी यादव ने राज्य सरकार पर उनके पति की रिहाई के लिए ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कल कहा था कि अगर उसके पति को जल्द मुक्त नहीं किया गया तो वह आत्महत्या कर लेंगी.
बेगूसराय के शाहपुर कमाल गांव निवासी और 41 वर्षीय रजनी ने यह भी कहा था कि अगर उनके पति को कुछ हो जाता है तो उनके चार बच्चों का भविष्य क्या होगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके पति को अगर कुछ हो जाता है उनके बच्चे हथियार उठाकर नक्सली भी बन सकते हैं.

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खबरों के मुताबिक अभय के परिजन से भंेट करने पहुंचे स्वयंभू नक्सली नेता किशनजी ने बताया कि अभय की पत्नी और उनके बच्चों की मन: स्थिति को देखकर वह अभय को रिहा करने के लिए बाध्य हुए हैं.

टीवी चैनलों के अनुसार नक्सलियों ने अगवा पुलिसकर्मियों को बांका और जमुई की सीमा पर पहाडी इलाके में आज सुबह छोडे जाने की बात कही जा रही है पर पुलिस ने इसकी अभी तक पुष्टि नहीं की है.

नक्सली स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने कल कहा था उनके संगठन की केंद्रीय समिति ने बंधकों को न तो सरकार और न ही पुलिस बल्कि उनके परिवार के सदस्यों को सौंपने का निर्णय लिया है.{mospagebreak}

यह पूछे जाने पर क्या वे मीडियाकर्मियों के समक्ष बंधकों को उनके परिवार को सौंपेगे अविनाश ने कहा कि इस बारे में मीडिया वालों को भी जानकारी नहीं दी जाएगी.

उल्लेखनीय है कि गत 29 अगस्त को लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र के रामटालनगर गांव के पास हुई मुठभेड में सात पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे जबकि माओवादियों ने चार पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया था नक्सली चारों बंधकों की रिहाई के एवज में सरकार से बिहार के विभिन्न जेलों में बंद उनके आठ साथियों जय पासवान, विजय चौरसिया, प्रेम भूषण, प्रमोद बर्नवाल, रामविलास तांती, रमेश तिर्की, अजरुन कोडा और रत्तू कोडा की रिहाई की मांग कर रहे हैं.

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माओवादियों द्वारा अपrत पुलिसकर्मियों में से एक लुकास टेटे की गत तीन अगस्त को हत्या कर दी थी जबकि अन्य अवर निरीक्षक रूपेश कुमार और अभय प्रसाद यादव तथा बीएमपी हवलदार एहतशाम खान को अब भी माओवादियों के चंगुल में फंसे हैं.

टेटे की हत्या के बाद पुलिस ने खोजबीन अभियान तेज कर दिया था. पुलिस द्वारा नक्सलियों को घेर लेने के दावे के बारे में पूछे जाने पर नक्सली स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने उस दावे को गलत बताया.

सर्वदलीय बैठक में सरकार की नक्सलियों से वार्ता करने की पेशकश के बारे में अविनाश ने कहा कि नीतीश सरकार और खून-खराबे की मंशा रखती है और वे उसे इसका राजनीतिक लाभ नहीं उठाने देंगे इसलिए उनकी समिति ने बंधकों को रिहा करने का फैसला किया है.

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