scorecardresearch
 

देश में खराब हालात की बात कहकर दलित पुलिस अफसर ने दे दिया इस्तीफा

अशोक ने अपने इस्तीफे में देश में जारी कई मसलों पर नाराजगी दिखाई और उसका जिक्र भी किया. उन्होंने पत्र में आरोप लगाया कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है. साथ ही कहा कि देश में संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए. रूल ऑफ जज, रूल ऑफ पुलिस के स्थान पर रूल ऑफ लॉ का सम्मान किया जाए.

Advertisement
X
मेरठ में प्रदर्शन करते लोग
मेरठ में प्रदर्शन करते लोग

Advertisement

उत्तर प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी ने दलितों की बदहाल होती स्थिति और देश में वर्तमान हालात का हवाला देते हुए पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे इस्तीफे में बताया कि आज के दौर में उनके लिए काम करना बेहद मुश्किल हो गया था.

सोमवार का दिन देशभर में दलित संगठनों की ओर से आयोजित विरोध-प्रदर्शनों के लिए याद किया जाएगा. जिस एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किए जाने की बात को लेकर प्रदर्शन के दौरान कई क्षेत्रों में 7 लोगों की मौत हो गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए. ऐसी कई घटनाओं से नाराज राज्य में पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में अपर पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात डॉक्टर बीपी अशोक ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया है.

दलित समुदाय से आने वाले पुलिस अफसर अशोक ने अपने इस्तीफे में देश में जारी कई मसलों पर नाराजगी दिखाई और उसका जिक्र भी किया. उन्होंने पत्र में आरोप लगाया कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है. साथ ही कहा कि देश में संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए. रूल ऑफ जज, रूल ऑफ पुलिस के स्थान पर रूल ऑफ लॉ का सम्मान किया जाए.

Advertisement

अपने पत्र में उन्होंने महिलाओं को जनप्रतिनिधित्व अभी तक नहीं दिए जाने पर निराशा जताई. साथ ही महिलाओं को एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हाईकोर्ट में अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने पर भी निराशा जताई. पत्र में उनकी शिकायत प्रोन्नतियों में भेदभाव को लेकर भी था.

साथ ही उन्होंने पत्र के जरिए जाति के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाए जाने की मांग की. उन्होंने मांग रखी कि इन संवैधानिक मांगों को अमल में लाया जाए या मेरा त्यागपत्र/वीआरएस स्वीकार किया जाए.

उन्होंने अपने पत्र का समापन पूरे देश को आक्रोशित युवाओं से शांति की अपील के साथ खत्म किया.

Advertisement
Advertisement