राजनाथ सिंह. राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी. केंद्र और राज्य स्तर की राजनीति का राजनाथ सिंह को अच्छा अनुभव है. बुधवार को उन्होंने बीजेपी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली है. वे अच्छे से जानते हैं कि उनकी नई जिम्मेदारी और ऊपर से नितिन गडकरी के पिछले तीन सालों की अध्यक्षता का कार्यकाल दोनों ही नजरअंदाज नहीं किए जा सकते.
राजनाथ को यह भी बखूबी पता है कि उनकी डगर आसान नहीं होगी. इस सब के बावजूद वे दृढ़ संकल्प नजर आते हैं और अपने काम के प्रति निष्ठा जाहिर करते हैं. 38, अशोक रोड स्थित अपने निवास स्थान पर मेड टुडे से बात करते हुए राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि राजनीतिक वर्ग अपनी विश्वसनीयता को पूरी तरह से खो चुका है. उन्होंने कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज यही है कि मैं उस विश्वसनीयता को फिर से बहाल करा पाऊं.'
राजनाथ सिंह का यह कथन कांग्रेस उपाध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के पहले भाषण के संदर्भ में भी महत्व रखता है, जिसमें राहुल गांधी ने कहा था लोगों में राजनीति में फैले भ्रष्टाचार को लेकर बेहद गुस्सा है और एक बड़े बदलाव की जरूरत है.
राजनाथ सिंह द्वारा सिर्फ यूपीए सरकार पर वार न करके पूरे राजनीतिक सिस्टम को लपेटे में लेना इस बात की ओर इशारा करता है कि उनके दिमाग पर नितिन गडकरी के बीते कार्यकाल को लेकर काफी दबाव है. गडकरी को उनकी कंपनी पूर्ति ग्रुप में अनियमितताओं के आरोपों के चलते बीजेपी अध्यक्ष की दूसरी पारी का मौका नहीं मिला. राजनाथ सिंह को पार्टी द्वारा अध्यक्ष पद पर चुने जाने के पीछे एक वजह यह भी है कि उनका अब तक का राजनीतिक करियर साफ और गैर-विवादित रहा है.
लड़ाई के मूड में
बीजेपी के नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह बिना कोई समय गंवाए जंग के मैदान में उतर गए हैं. वे गुरुवार (24 जनवरी 2013) को बीजेपी की तरफ से होने वाले विरोध-प्रदर्शन की अगुवाई करने जा रहे हैं. यह विरोध-प्रदर्शन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के उस बयान के खिलाफ है, जिसमें उन्होंने हिंदू आतंकवाद का जिक्र किया था. राजनाथ सिंह ने कहा, 'कांग्रेस देश को साम्प्रदायिकता के आधार पर बांट देना चाहती है. इस तरह के बयान केवल आतंकवाद को बढ़ावा देंगे. साफ है कि कांग्रेस पार्टी केवल वोट बैंक की राजनीति में दिलचस्पी रखती है और वास्तव में आतंकवाद से लड़ने के मामले में वह गंभीर नहीं है.'
पार्टी हेडक्वार्टर पर ढोल-नगाड़ों और कार्यकर्ताओं की जोशीली नारेबाजी के बीच राजनाथ सिंह ने यूपीए सरकार के खिलाफ बिगुल बजा दिया है. राजनाथ सिंह ने कहा, 'देश इस समय संकटकाल से गुजर रहा है, केवल बीजेपी ही इस देश की समस्याओं को हल कर सकती है और लोग भी इन समस्याओं पर लगाम लगाने के लिए चिंतित हैं. मुझे विश्वास है कि 2014 में होने वाले चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनेगी.'
लेकिन एक कमांडर के तौर पर उन्हें लड़ाई लड़नी होगी. पार्टी के भीतर भी अनुशासन बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है, जिसके लिए वह चिंतित भी हैं. उन्होंने कहा, पार्टी के भीतर बेहतर कॉर्डिनेशन की जरूरत है. मैं सबको साथ लेकर चलना चाहूंगा. पार्टी में सद्भाव बनाए रखने की बात पर वह कहते हैं कि यह बेहद अहम है. ऐसा कुछ कहने से बचना होगा, जो किसी को दुख पहुंचाए. उन्होंने कहा कि जल्द ही देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और फिर लोकसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में सद्भाव कायम रखना जरूरी हो जाता है.
पार्टी में एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए राजनाथ सिंह, लालकृष्ण अडवाणी और नितिन गडकरी एक दूसरे के साथ खड़े नजर आए. पार्टी में गुटबाजी के अंत का संकेत दिया गया. पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वैंकया नायडू और अनंत कुमार भी मंच पर मौजूद थे. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा भी पहली पंक्ति में शामिल नेताओं में थे.
सिंह चाहते हैं कि, पार्टी में केवल केंद्र स्तर पर ही नहीं, बल्कि राज्य स्तर पर बेहतर तालमेल रहे. वे कहते हैं, अपने पिछले कार्यकाल के दौरान मैं राज्यों की कार्रवाई को समझ नहीं पाया था. मैंने कई राज्यों का दौरा किया और मैं राज्य स्तर पर आने वाली समस्याओं से अवगत हूं. बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर अपने पिछले कार्यकाल (2006 से 2009) के दौरान कई राज्यों के नेताओं के साथ उनके संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण नहीं थे. पर अब वे न सिर्फ सभी राज्यों से, बल्कि उनके साथ जुड़ी पार्टियों के साथ भी अधिक से अधिक सौहार्दपूर्ण संबंध कायम करना चाहते हैं.
राजनाथ सिंह ने अपने पूर्ववर्ती मतलब नितिन गडकरी की तारीफ करते हुए यह बताने की कोशिश की कि सब कुछ ठीक है. सिंह ने कहा, मैं दुर्भाग्यपूर्ण हालातों में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया हूं. हम चाहते थे कि नितिन गडकरी को दूसरा मौका मिले, इसी के लिए ही पार्टी के संविधान में संशोधन किया गया था. लेकिन सरकार ने जिस तरह से गडकरी पर झूठे आरोप लगाए और उन पर आई टी रेड करवाकर उन्हें फंसाने की कोशिश की, इससे आहत होकर गडकरी ने खुद दोबारा अध्यक्ष पद लेने से इनकार कर दिया.
पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भारी उत्साह के बारे में कहा कि इस तरह का उत्साह तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चुनाव के वक्त भी नहीं था. पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से मैंने कभी ऐसा उत्साह नहीं देखा. आडवाणी ने कहा, हमें यह सिद्ध करना चाहिए कि हमारी पार्टी अन्यों से अलग है, वैसा नहीं है जैसा विरोधी कहते हैं कि पार्टी में सब अलग-अलग हैं.