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सियासी बिरादरी हजारे से बिल्कुल भयभीत नहीं: दिग्विजय

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इस बात की पुरजोर वकालत की कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये सरकार के प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के मसौदे पर होने वाली चर्चा में राजनीतिक बिरादरी को शामिल किया जाना चाहिये.

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दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इस बात की पुरजोर वकालत की कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये सरकार के प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के मसौदे पर होने वाली चर्चा में राजनीतिक बिरादरी को शामिल किया जाना चाहिये.

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सिंह ने कहा कि इस अहम विधेयक का स्वरूप तय करने का काम समाज के चुनिंदा लोगों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता.

दिग्विजय ने इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं लोकपाल विधेयक के पक्ष में हूं. लेकिन इस विधेयक का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी समाज के चुनिंदा लोगों को नहीं सौंपी जा सकती और ऐसी कोई संस्था नहीं बनायी जा सकती जो उसका दुरुपयोग कर सके.’

उन्होंने कहा कि सरकार के प्रस्तावित लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति में केवल नागरिक समाज के चुनिंदा लोगों को क्यों रखा गया. ‘क्या राजनेता असभ्य हैं, जो वे समाज के सदस्य नहीं हो सकते.’

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘मैं तो यहां तक सुझाव दूंगा कि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति को सभी राजनीतिक दलों के नुमाइंदों को बुलाकर उनसे चर्चा करनी चाहिये. चर्चा इस बात पर भी होनी चाहिये कि इस विधेयक के दायरे में कॉपरेरेट क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया जाये या नहीं.’

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दिग्विजय सिंह ने एक सवाल पर कहा, ‘समाज के नाम पर अन्ना हजारे और उनके साथी अगर अपनी बात को खुदा की लकीर बताते हैं तो यह हमें स्वीकार्य नहीं है.’

दिग्विजय ने कहा कि यह संभव नहीं है कि लोकपाल विधेयक पर नागरिक समाज के तैयार मसौदे को पूरी तरह मान लिया जाये, ‘संविधान के अंतर्गत चुने गये जन प्रतिनिधियों का अधिकार कोई कैसे छीन सकता है.’

उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हजारे को ‘भला आदमी’ बताया, लेकिन कहा कि कुछ लोग उन्हें घेरकर उनका ‘उपयोग’ कर रहे हैं.

क्या अलग-अलग दलों के सियासी नेता इसलिये हजारे के खिलाफ सुर में सुर मिला रहे हैं कि वे उनसे भयभीत हैं, इस सवाल पर दिग्विजय ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं. मैं सम्मान से आज भी हजारे के चरण छूता हूं और कल भी छूता रहूंगा. लेकिन हम उनकी यह बात नहीं मान सकते कि सारे राजनेता और मतदाता बेईमान हैं.’

दिग्विजय ने यह भी कहा कि वह अच्छे वकीलों के रूप में शांतिभूषण और प्रशांत भूषण का सम्मान करते हैं. ‘लेकिन अच्छी वकालत करना और किसी विधेयक का अच्छा मसौदा तैयार करना दो अलग-अलग बातें हैं.’

उन्होंने कहा कि अगर भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना है तो अकेले लोकपाल विधेयक से कुछ नहीं होगा. इस सिलसिले में बुनियादों बातों पर ध्यान देना होगा, जिसमें घोषित आय से ज्यादा संपत्ति रखने के मामलों पर प्रभावी अंकुश लगाना शामिल है.

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