लोकतंत्र में ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ को आवश्यक करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को नौकरशाहों से स्पष्ट किया कि वे इसे सुशासन में बाधा के तौर पर नहीं देखें.
राजनीतिक हस्तक्षेप और अनुचित हस्तक्षेप के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए मोदी ने कहा कि इनमें से एक व्यवस्था के लिए ‘अनिवार्य और अपरिहार्य’ है वहीं दूसरे से व्यवस्था ‘नष्ट’ हो जाएगी. मोदी ने सिविल सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के आगे बढ़ने में नौकरशाही मिजाज और राजनीतिक हस्तक्षेप की अक्सर बाधक के तौर पर चर्चा की जाती है.
उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में, नौकरशाही और राजनीतिक हस्तक्षेप साथ साथ चलते हैं. यह लोकतंत्र की विशिष्टता है. अगर हमें इस देश को चलाना है, तो हमें अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप अनिवार्य और अपरिहार्य है अन्यथा लोकतंत्र काम नहीं कर पाएगा.’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत है क्योंकि लोगों को जनप्रतिनिधियों से उम्मीदें होती हैं.’ मोदी ने कहा कि बाधा और कठिनाई जैसे शब्दों को नौकरशाही व्यवस्था से हटाने की जरूरत है.
उन्होंने सिविल सर्विस दिवस समारोह में कहा, ‘एक विभाग काम कर रहा है लेकिन कहीं और इसे रोक दिया जाता है. आप सवाल करेंगे कि क्या हुआ? यह कहेगा कि यह काम करने का नौकरशाही तरीका है. उसी प्रकार अगर कुछ काम कहीं अटक जाता है तो हम कहते हैं कि यह राजनीतिक हस्तक्षेप है.’ जवाबदेही और जिम्मेदारी पर जोर देते हुए मोदी ने अधिकारियों से कहा कि हर समस्या का समाधान होता है और उसे खोजना होता है. उन्होंने कहा कि सुशासन के लिए जवाबदेही, जिम्मेदारी और पारदर्शिता आवश्यक है.