नरेंद्र मोदी सरकार गंभीर अपराध करने वालों के लिए चुनाव का रास्ता बंद करने पर विचार कर रही है. इसके लिए वह जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करने का इरादा रखती है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर दी है.
अखबार के मुताबिक प्रस्तावित संशोधन के अनुसार वे लोग जो गंभीर अपराध करते हैं, वे कम से कम 13 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसके लिए संसद में एक बिल लाया जाएगा. इस बिल के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति पर ऐसा कोई आरोप है, जिसमें कम से कम छह साल की सजा है तो वह 13 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएगा. अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. अदालत की ओर से दोषी साबित होने के बाद अभी किसी भी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं रहता है.
बताया जाता है कि कानून मंत्रालय ने प्रस्तावित बिल तैयार कर लिया है. अब इस पर प्रधानमंत्री मोदी को मुहर लगाना है. उसके बाद यह संसद में रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को कहा कि पीएम और सीएम अपराधियों को मंत्री न बनाएं. इस बारे में एक पीआईएल भी कोर्ट में लंबित है.
इस बिल में एक प्रावधान यह है कि इस तरह के अपराध के लिए चार्जशीट चुनाव की घोषणा होने के कम से कम 180 दिन पहले दाखिल होनी चाहिए.
इसके अलावा एक प्रावधान यह भी है कि चुनाव आयोग के सामने झूठा शपथ पत्र देने वाले उम्मीदवार को अयोग्य करार दिया जा सकता है. इसके बाद उसे छह साल तक चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं रहेगा.