अब राजनीतिक दलों को भी अपना हिसाब-किताब देना होगा. जी हां, देश की सभी पार्टियों को अब सूचना के अधिकार एक्ट (आईटीआई) के तहत लाया जाएगा. एक अपील पर सुनवाई के बाद केंद्रीय सूचना आयोग यानी कि CIC ने यह आदेश दिया है.
इस आदेश के बाद अब राजनीतिक दलों को चंदे से लेकर हर खर्च की जानकारी जनता को देनी होगी. सीआईसी की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि अब सभी राजनीतिक दलों से लिखित रिकॉर्ड मांगे जा सकते हैं. सभी दलों को 6 महीने के भीतर ऐसे अधिकारी नियुक्त करने होंगे जो आरटीआई याचिकाओं का जवाब दे सकें. इसके साथ ही राजनीतिक दलों से कहा गया है कि वे अपनी वेबसाइट्स पर जरूरी जानकारी भी अपलोड करें. हालांकि आदेश के मुताबिक पार्टियों को सेक्शन 8(1) और 7(9) में शामिल सूचनाएं बताने की बाध्यता नहीं होगी.
सीआईसी ने कहा पार्टियां सरकार से सुविधाएं लेती हैं इसलिए आरटीआई के तहत उन्हें खर्च की जानकारी देनी होगी. हालांकि सीआईसी के इस फैसले से राजनीतिक पार्टियां ज्यादा खुश नहीं हैं. केंद्रीय मंत्री नारायण सामी ने कहा, 'फैसला पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दूंगा.'
वहीं, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'चुनाव आयोग और आयकर विभाग को राजनीतिक दल खर्चे का हिसाब देते हैं. चुनाव सुधार की जरूरत है.'