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व्यंग्य: योग दिवस पर जानिए इन पॉलिटिकल आसनों को

विश्व योग दिवस के मौके पर भारत ने राजपथ पर योगाभ्यास का कीर्तिमान स्थापित किया है. लेकिन इन सब से इतर आप चाहें तो इन आसनों को भी ट्राय कर सकते हैं. वैसे इसके अपने रिस्क है.

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सेल्फी आसन: सेल्फी आसन कहीं भी किया जा सकता है. कार में, बस में, छज्जे पर, प्लेन में, इसे हंसते-बोलते-चलते हुए भी किया जा सकता है. सेल्फी आसन एकाग्रता बढ़ाता है. इसे करने वाला अपना सारा ध्यान एक अंगूठे के जरिए लम्बे-चौड़े, हिलते-डुलते फोन के एक बिंदु पर केन्द्रित करता है.

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ना-नुकुरासन: आकर्षण के केंद्र में लाने वाला ये आसन किसी भी बात पर किया जा सकता है. इसकी विशेषता है कि ये सामने वाले का मुंह देखकर किया जाता है. इस आसन के करने से वजन घटता और भाव बढ़ता है.

गठबंधनासन: योग स्वस्थ लोगों के लिए है, लेकिन ये आसन बहुत कुछ बिगड़ चुकने के बाद भी किया जाता है. ये विशुद्ध योग है. इसमें जुड़ना अपरिहार्य है फिर भले वो साइकिल में स्कूटर का पहिया ही जुड़े.

चमचासन: ये आसन किसी बड़े के पीछे-पीछे होकर ही किया जाता है. ये आसन शरीर को हल्का करता है और चमचे को ऊपर उठाता है.

विरोध आसन: सबसे आसान आसन है. इसे ना-नुकुर आसन की मुद्रा में बैठ कर किया जाता है. अमूमन ये विपक्ष की पार्टी के लोग करते नजर आते हैं, लेकिन कई बार सत्तापक्ष के लोग भी इसकी मुद्राएं दोहराते नजर आते हैं. विरोध आसन के दो प्रचलित रूप हैं. सदन में किया जाने वाला बहिर्गमन और सड़क पर धरना प्रदर्शन.

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बकरासन: मूलत: ये हिंदी के बक शब्द से बना है. इसे करने के लिए सबसे पहले मुंह को माइक के पास ले जाइए, होंठों को फैलाइए, जीभ को चलाइए और कुछ भी कह दीजिए. उल्टे-सीधे बयानों के जरिए किया जाने वाला ये आसन पिछले एक-दो वर्षों में खूब प्रचलित हुआ है. इसके फायदे भी तत्काल नजर आते हैं. सस्ती लोकप्रियता जुटाने के लिए ये सबसे कारगर आसन है.

वोटर नमस्कार: ये पांच साल में एक बार किया जाता है. इसके फायदे पांच साल तक नजर आते हैं. ये आसन नहीं कई आसनों का मेल है, जिसमें हाथ जोड़ना, झुकना, बे-बात भावुक हो जाना, पैरों पर लोट जाना भी शामिल है. एक बार ये आसन अच्छे से कर लिए जाएं फिर वोटर्स को दूर से नमस्कार किया जा सकता है.

भक्तासन: ये अंधभक्तों और अंधविरोधियों के द्वारा किया जाने वाला आसन है. आंख बंद कीजिए, दुनियादारी को चूल्हे में झोंक कर जपना शुरू कीजिए 'अच्छे दिन आने वाले हैं- अच्छे दिन..' और अगर विरोधी हैं तो जपिए 'कहां? कहां हैं अच्छे दिन?'

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