बटला हाउस एनकाउंटर उन पुलिसिया कार्रवाइयों में से एक है जिसपर हमारे नेताओं ने जमकर राजनीति की है. एक नजर उन विवादित बयानों पर.
ममता बनर्जी (17 अक्टूबर 2008)
जामिया नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा था, 'यह एक फर्जी एनकाउंटर था. अगर मैं गलत साबित हुई तो राजनीति छोड़ दूंगी. मैं इस एनकाउंटर पर न्यायिक जांच की मांग करती हूं.'
अमर सिंह (17 अक्टूबर 2008)
जामिया नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सपा के तत्कालिक महासचिव अमर सिंह ने कहा था, 'आडवाणीजी मेरी निंदा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैंने आपकी मांग का समर्थन किया है और मुझे माफी मांगने को कह रहे हैं. BBC और CNN जैसी विदेशी मीडिया ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं. मैं आडवाणीजी से मांग करूंगा कि वे न्यायिक जांच की मांग में मदद करें.'
दिग्विजय सिंह (10 फरवरी 2010)
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह शुरू से ही बटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं. इस मुद्दे की राजनीतिकरण की शुरुआत उन्होंने ने ही की थी. दिग्विजय सिंह ने कहा था, 'एनकाउंटर में मारे गए बच्चों को गुनहगार या निर्दोष साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं. मेरी मांग है कि इस मामले की जल्द सुनवाई हो.' एनकाउंटर की तस्वीरों को दिखाकर उन्होंने दावा किया था, 'एक बच्चे के सिर पर पांच गोलियां लगी थीं. अगर यह एनकाउंटर था तो सिर पर पांच गोलियां कैसे मारी गई'. हालांकि दिग्विजय सिंह ने इन दावों को तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस का यह ऑपरेशन फर्जी नहीं था.
दिग्विजय सिंह (12 जनवरी 2012)
पी चिदंबरम के दावों के बाद भी दिग्विजय सिंह अपने बयान पर कायम रहे. उन्होंने कहा, 'घटना के दो-तीन दिन बाद जिस तरह के तथ्य सामने आए उसे लेकर जो धारणा बनी. मैं अपने उस स्टैंड पर आज भी कायम हूं.'
सलमान खुर्शीद (10 फरवरी 2012)
आजमगढ़ में एक रैली को संबोधित करते वक्त तत्कालीन कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र करते हुए कहा था, 'जब उन्होंने इसकी तस्वीरें सोनिया गांधी को दिखाई तब उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने पीएम से बात करने की सलाह दी थी.'