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PSE: केरल-तमिलनाडु में मोदी से आगे राहुल, विजयन-स्टालिन के स्टॉक ऊपर

इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक प्रधानमंत्री पद के लिए केरल और तमिलनाडु में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऊंचा है. दोनों राज्यों के सर्वे से ये भी सामने आया कि वहां केंद्र सरकार के खिलाफ नाखुशी का स्तर ऊंचा है.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो- PTI)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो- PTI)

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केरल में मुख्यमंत्री पी विजयन और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन लोकप्रियता के मामले में अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों से कहीं आगे हैं.

इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के आठवें संस्करण के मुताबिक प्रधानमंत्री पद के लिए इन दोनों दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऊंचा है. PSE में इस बार केरल और तमिलनाडु के लिए सर्वे किया गया. दोनों राज्यों के सर्वे से ये भी सामने आया कि वहां केंद्र सरकार के खिलाफ नाखुशी का स्तर ऊंचा है.

केरल

इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया सर्वे  में 42 फीसदी प्रतिभागियों ने केरल में पी विजयन की अगुआई वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक सरकार के कामकाज को लेकर संतोष जताया. PSE सर्वे के मुताबिक 27 फीसदी वोटरों ने विजयन सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई. वहीं 26 फीसदी ने इसे औसत बताया.

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जहां तक मुख्यमंत्री के पद का सवाल है तो सर्वे में 27 फीसदी प्रतिभागियों ने विजयन को ही एक और कार्यकाल मिलने के पक्ष में वोट दिया. कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी को 20%  प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया.

सबरीमाला

सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी हटाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था को लेकर सर्वे में 46 फीसदी प्रतिभागी असंतुष्ट दिखे. सिर्फ 21%  ने ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमति जताई. 33% प्रतिभागियों ने इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय नहीं जताई.  

PSE सर्वे में 41% प्रतिभागियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था को केंद्र सरकार की ओर से अध्यादेश लाकर पलटना चाहिए. वहीं 26% प्रतिभागियों ने ऐसा कोई कदम उठाने के खिलाफ राय जताई.  

बाढ़ राहत

केरल ने कुछ अर्सा पहले भीषण बाढ़ का सामना किया था. PSE  सर्वे में 36 फीसदी प्रतिभागियों ने राज्य सरकार की ओर से बाढ़ प्रबंधन और राहत के लिए किए गए कार्यों को संतोषजनक बताया. वहीं केंद्र सरकार के कदमों को संतोषजनक बताने वाले सिर्फ 8 फीसदी ही प्रतिभागी थे.

स्थानीय मुद्दे

PSE सर्वे में केरल में सबसे बड़े मुद्दे के बारे में जब प्रतिभागियों से पूछा गया तो उन्होंने बेरोजगारी का नाम लिया. इसके बाद सड़कों की हालत, महंगाई और पीने का पानी भी अन्य अहम मुद्दों के तौर पर उभरे.  

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मोदी बनाम राहुल

देश के अगले प्रधानमंत्री को लेकर केरल में 38 फीसदी प्रतिभागियों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पक्ष में वोट दिया. वहीं नरेंद्र मोदी को सिर्फ 31 फीसदी प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया.

प्रतिक्रियाएं

चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव का कहना है कि बीजेपी इस दक्षिणी राज्य में अपनी मौजूदगी का अहसास करा रही है. क्या चुनाव में भी बीजेपी कुछ हासिल कर पाएगी, इस पर यादव कहते हैं कि बीजेपी अभी काफी पीछे है लेकिन वो सबरीमाला जैसे मुद्दों का इस्तेमाल करेगी.

यादव ने कहा, ‘बीजेपी सबरीमाला मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है. इस पार्टी को खुले और नग्न किस्म की साम्प्रदायिकता से परहेज नहीं है. कांग्रेस का जोर सॉफ्ट हिन्दुत्व पर है. जहां तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का सवाल है तो बीजेपी की ओर से वहां सेंधमारी की जा सकती है.’    

बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने भरोसा जताया कि केरल में बीजेपी कई सीट जीतने में कामयाब रहेगी. राव ने कहा, 'हमने पिछले चुनाव में विधानसभा सीट जीती थी. अब त्रिकोणीय मुकाबला होगा, हम 32% के साथ कई सीट हासिल करेंगे.'   

राव के मुताबिक सबरीमाला आस्था और भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है. इस मुद्दे से जुड़े फैसले पर किसी केंद्रीय मंत्री ने प्रतिक्रिया नहीं दी है. जब केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के बयान की ओर राव का ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने कहा कि, ‘मंत्री होने के नाते उनकी अलग भूमिका है. सरकार में कोई मंत्री फैसले के खिलाफ कमेंट नहीं देगा. इस मुद्दे पर कोर्ट ही फैसला करेगा.’  

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केरल में बीजेपी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं जो राज्य में पार्टी की पूरी मशीनरी को एकजुट रख सके, इस सवाल पर राव ने कहा, ‘दक्षिण में केरल ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी का ग्राफ ऊंचा हो रहा है. केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य अचानक ही रुख पलटेंगे. आप वहां अचानक चुनाव में बड़ा स्विंग देखेंगे.’

वहीं, कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन का कहना है कि केरल में कांग्रेस किसी परेशानी नहीं है. वडक्कन ने कहा कि केरल के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि कौन उनके लिए बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.

सीपीआई(एम) के सांसद एमबी राजेश ने कहा कि आरएसएस-बीजेपी का दोहरापन बेनकाब हो गया है. राजेश ने कहा, ‘महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार  शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से बैन हटाने संबंधी ऐसे ही कोर्ट आदेश को लागू करवाया. वहां उन्होंने कोर्ट के आदेश पर अपील के वैधानिक विकल्प को भी नहीं आजमाया. और जब केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लागू करने के लिए कर्तव्यबद्ध है तो उसे नास्तिक और हिन्दू-विरोधी कहा जा रहा है.’  

पिछला चुनाव

केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2016 में हुए चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने 91 सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) से सत्ता छीनी थी.

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मेथेडोलॉजी  

इंडिया टुडे- एक्सिस माई इंडिया सर्वे केरल के 20 संसदीय क्षेत्रों लोगों से फोन पर लिए गए इंटरव्यू पर आधारित है. केरल के लिए सर्वे में 7,920 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

तमिलनाडु

मुख्यमंत्री इ के पलानीस्वामी की सरकार को लेकर तमिलनाडु के अधिकतर वोटर नाखुश हैं. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 54 फीसदी प्रतिभागियों ने पलानीस्वामी सरकार के कामकाज को लेकर असंतोष जताया. तमिलनाडु के सर्वे में सिर्फ 18 फीसदी प्रतिभागी ही पलानीस्वामी सरकार को लेकर संतुष्ट दिखे.   

वहीं तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन लोकप्रियता के मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री पलानीस्वामी से कहीं आगे हैं. स्टालिन को राज्य का अगला मुख्यमंत्री देखने के लिए 41 फीसदी प्रतिभागियों ने वोट दिया. वहीं पलानीस्वामी को सिर्फ 10 फीसदी प्रतिभागियों ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल देने के पक्ष में राय जताई.

तमिलनाडु में सिनेमा के दो सुपरस्टार कमलहासन और रजनीकांत भी हाल में राजनीति में आए हैं. कमलहासन को 8% और रजनीकांत को 6% प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया.

2016 में जे जयललिता के नेतृत्व में AIADMK ने 232 सदस्यीय तमिलनाडु में 134 सीट जीत कर सरकार बनाई थी. लेकिन उसी वर्ष दिसंबर में जयललिता के निधन के बाद AIADMK खेमों में बंट गई. PSE सर्वे के मुताबिक 62 फीसदी वोटरों का मानना है कि गुटबाज़ी से ग्रस्त AIADMK  अगले विधानसभा चुनाव से पहले फिर बंटेगी. 70 फीसदी से ज्यादा प्रतिभागियों का मानना है कि जयललिता के निधन के बाद AIADMK सरकार सही ढंग से काम नहीं कर रही.

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स्थानीय मुद्दे

तमिनाडु मे प्रतिभागियों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया. अन्य अहम मुद्दों में वोटरों ने पीने का पानी, महंगाई, गांवों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत और किसानों की दिक्कतों को गिनाया.

मोदी बनाम राहुल

PSE सर्वे के मुताबिक देश के अगले प्रधानमंत्री के लिए तमिलनाडु में 36% प्रतिभागियों ने राहुल गांधी के पक्ष में वोट दिया. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और कार्यकाल देने के पक्ष में सिर्फ 29 फीसदी प्रतिभागियों ने ही राय जताई.

प्रतिक्रियाएं

केरल और तमिलनाडु में लोकप्रियता के मामले में राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आगे होने के सर्वे के निष्कर्ष पर चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव कहते हैं कि इसकी वजह इन राज्यों में बीजेपी का बड़ा प्लेयर ना होना है.

यादव कहते हैं कि ‘मोदी की लोकप्रियता सीधे किसी राज्य में बीजेपी के वोट शेयर से जुड़ी है. केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी प्लेयर नहीं है. इसलिए यहां मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे है.’

रजनीकांत और कमलहासन की तमिलनाडु के राजनीतिक पटल पर दस्तक को लेकर यादव कहते हैं, ‘रजनीकांत की अपील बड़ी है. लेकिन राजनीतिक विचारधारा का जहां तक सवाल है तो रजनीकांत के पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं हैं. दूसरी तरफ कमलहासन काफी घूम रहे हैं, युवाओं से बात कर रहे हैं. वो जयललिता के जाने के बाद खाली हुए स्थान के लिए सशक्त दावेदार प्रतीत होते हैं.’

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डीएमके में करुणानिधि के निधन के बाद उनके राजनीतिक वारिस के सवाल पर यादव कहते हैं,  ‘करुणानिधि के जाने से जो जगह खाली हुई है, उसे स्टालिन काफी हद तक भर चुके हैं. करुणानिधि के निधन के बाद भी उनकी पार्टी का ढांचा वैसा ही बना हुआ है. उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी (स्टालिन) साफ है. वहीं AIADMK में सब चरमरा गया है. इस पार्टी को अंदर से ही विस्फोट का सामना है. संकट वाले पानी में बीजेपी दखल देने की कोशिश कर रही है.’

बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव का कहना है कि उनकी पार्टी दक्षिण को अवसर के तौर पर देखती है. राव कहते हैं, ‘जयललिता का निधन करारा झटका था. वो अपनी पार्टी के लिए ‘वोट-कैचर’ थीं. लोकप्रिय होने से कुमारस्वामी (कर्नाटक मुख्यमंत्री) को कौन रोकता है. दक्षिणी बेल्ट में स्थानीय सरकारें काफी अलोकप्रिय नजर आती हैं.’   

राव ने कहा, ‘तमिलनाडु ऐसा राज्य रहा है जहां कोई भी अकेली पार्टी लंबे समय तक अपने बूते चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं रही. ये बात जयललिता के साथ भी रही. ये ऐसा राज्य है जहां गठबंधन मायने रखता है.’

मेथेडोलॉजी

इंडिया टुडे-एक्सिस-माई-इंडिया सर्वे में तमिलनाडु के 39 संसदीय क्षेत्रों में 14,820 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

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