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PSE: बिहार में नीतीश की साख बरकरार, ओडिशा में नवीन के स्टॉक ऊपर

बिहार में 49% वोटर मानते हैं कि नीतीश के RJD-कांग्रेस से नाता तोड़ने से भ्रष्टाचार में कमी आई. 40% ने कहा स्थिति पहले ही जैसी है.  ओडिशा में नवीन पटनायक लोकप्रियता में दूसरों से कहीं आगे हैं. तीनों राज्यों में अधिकतर प्रतिभागियों ने राफेल डील के बारे में नहीं सुना.

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नीतीश कुमार की फाइल फोटो (पीटीआई)
नीतीश कुमार की फाइल फोटो (पीटीआई)

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बिहार में ‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार की साख पहले की तरह ही बनी हुई है. लोकप्रियता के मामले में नीतीश कुमार अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तेजस्वी यादव से कहीं आगे हैं. ये निष्कर्ष इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के चौथे संस्करण से निकल कर आया है. ओडिशा में BJD सुप्रीमो नवीन पटनायक की वोटरों पर मजबूत पकड़ कायम है. वहीं PSE के मुताबिक झारखंड में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है. सर्वे के मुताबिक झारखंड में रघुवर दास सरकार के कामकाज से 34 फीसदी वोटर संतुष्ट हैं तो वहीं 33 फीसदी प्रतिभागी नाखुश हैं.

बिहार की बात की जाए तो राज्य में सर्वे में हिस्सा लेने वाले 49 फीसदी वोटरों का मानना है कि नीतीश कुमार के RJD-कांग्रेस महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद राज्य में भ्रष्टाचार में कमी आई है. वहीं 40 फीसदी प्रतिभागियों का कहना है कि भ्रष्टाचार की स्थिति पहले जैसी ही है. बिहार, ओडिशा और झारखंड के लिए किए गए सर्वे में तीनों ही राज्यों में अधिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने राफेल डील के बारे में नहीं सुना. जिन्होंने राफेल डील के बारे में सुना था उनमें से अधिकतर की राय यही थी कि केंद्र सरकार को ये सार्वजनिक नहीं करना चाहिए कि फ्रांस से राफेल विमान कितने में खरीदा गया.    

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बिहार

राजनीतिक नब्ज़ पर नज़र रखने वाले देश के पहले साप्ताहिक कार्यक्रम PSE के मुताबिक नीतीश कुमार बिहार में मुख्यमंत्री के लिए लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. चुनावी सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 46% फीसदी प्रतिभागियों ने नीतीश कुमार को वोट दिया. राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को 28 फीसदी वोटरों ने मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद बताया. बीजेपी नेता और बिहार के मौजूदा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को 9% वोटर राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं.  

PSE के निष्कर्षों के मुताबिक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 38 फीसदी प्रतिभागी नीतीश सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखे. वहीं 34 प्रतिशत ने सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई. वहीं 24 फीसदी प्रतिभागियों ने इसे औसत बताया.

इंडिया टुडे-एक्सिस-माई-इंडिया सर्वे राज्य के 40 संसदीय क्षेत्र में लिए गए साक्षात्कारों पर आधारित है. बिहार के लिए PSE सर्वे में कुल 15,375 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. ये सर्वे 22 से 26 सितंबर के बीच हुआ.

दिलचस्प ये है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ नाता तोड़कर 2015 में लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बना कर विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में महागठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी लेकिन नीतीश कुमार अधिक दिन तक महागठबंधन में नहीं टिक सके. राष्ट्रीय जनता दल के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा दे दिया और फिर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई.

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PSE सर्वे में जब प्रतिभागियों से एक सवाल ये भी पूछा गया कि नीतीश कुमार के आरजेडी-कांग्रेस से अलग होने के बाद राज्य में भ्रष्टाचार की स्थिति पर क्या फर्क पड़ा. इस सवाल के जवाब में सर्वे के 49%  प्रतिभागियों ने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार में कमी आई है. वहीं 40%  वोटर मानते हैं कि भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आई है. 11 फीसदी प्रतिभागी इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके.  

PSE के मुताबिक जब बिहार के अहम मुद्दों के बारे में प्रतिभागियों से पूछा गया तो उन्होंने सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर ‘नाली-नाले और साफ-सफाई’ का नाम लिया. इसके बाद बेरोजगारी, पीने का पानी, किसानों की समस्याएं और महंगाई को अन्य अहम मुद्दों के तौर पर प्रतिभागियों ने गिनाया.

सर्वे में जब देश के अगले प्रधानमंत्री के लिए पसंद के बारे में पूछा गया तो  राज्य से 58% प्रतिभागियों ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में वोट दिया. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 32% प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया.

जहां तक केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज का सवाल है तो बिहार में सर्वे के 48 फीसदी प्रतिभागी इससे संतुष्ट दिखे. 28 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई. वहीं 20 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार के कामकाज को औसत बताया.

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पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के बारे में पूछे जाने पर सर्वे में 89% प्रतिभागियों ने कहा कि केंद्र सरकार को टैक्स कम करके लोगों को पेट्रोल के दामों में राहत देनी चाहिए. वहीं 6 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि केंद्र सरकार को पेट्रोल पर टैक्स नहीं घटाने चाहिए.

राफेल डील के बारे में सर्वे में बिहार के 76 प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. सिर्फ 24 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है. जिन्हें राफेल डील की जानकारी थी उनमे से 62 फीसदी प्रतिभागी इस राय के थे कि केंद्र सरकार को ये सार्वजनिक नहीं करना चाहिए कि फ्रांस से राफेल विमान कितने में खरीदा गया. वहीं 38% ने कहा कि सरकार को ये बताना चाहिए कि राफेल विमान कितने में खरीदा गया.

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए 2015 में हुए चुनाव में JDU को 71 सीटों पर कामयाबी मिली थी. इस चुनाव में RJD को 80, BJP को 53 और कांग्रेस को 27 सीट हासिल हुई थीं.

ओडिशा

बीते 18 साल से ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की राज्य के लोगों पर मजबूत पकड़ अब भी बनी हुई हैं. इंडिया टुडे-माई-इंडिया PSE सर्वे के मुताबिक 59 फीसदी वोटर पटनायक को लगातार पांचवीं बार राज्य की बागडोर सौंपने के पक्ष में हैं. मुख्यमंत्री के लिए लोगों की पसंद के तौर पर दूसरे नंबर पर बीजेपी नेता और केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हैं. उन्हें 21 फीसदी प्रतिभागियों ने वोट दिया. लोकप्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो बीजू जनता दल (BJD) सुप्रीमो नवीन पटनायक और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी में बहुत बड़ा फासला है.  

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नवीन पटनायक सरकार के कामकाज से ओडिशा में 44 फीसदी वोटर संतुष्ट हैं. सर्वे के 19 फीसदी प्रतिभागियों ने ही पटनायक सरकार के कामकाज से नाखुशी जताई. वहीं 32 फीसदी वोटरों ने इसे औसत बताया.

जहां तक केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज का सवाल है तो ओडिशा में 52 फीसदी वोटर इससे संतुष्ट हैं. ओडिशा से सर्वे में सिर्फ 12 फीसदी प्रतिभागी ही मोदी सरकार के कामकाज से नाखुश हैं. वहीं राज्य से 31 फीसदी प्रतिभागियों ने मोदी सरकार के कामकाज को औसत बताया है.  

सर्वे में ओडिशा से 54 फीसदी प्रतिभागी प्रधानमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी को एक और कार्यकाल देने के पक्ष में हैं. वहीं राज्य से 21 फीसदी प्रतिभागियों ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया. राज्य से 15 फीसदी प्रतिभागी नवीन पटनायक को देश का अगला प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

सर्वे में राज्य के लोगों ने पीने के पानी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया. इसके अलावा किसानों की समस्याएं, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, नाला-नाली/साफ सफाई और बेरोजगारी को अन्य मुद्दों के तौर पर प्रतिभागियों ने गिनाया.

पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के बारे में पूछे जाने पर सर्वे में 87 % प्रतिभागी इस पक्ष में दिखे कि केंद्र सरकार को टैक्स कम करके लोगों को दामों में राहत देनी चाहिए. हालांकि 4 फीसदी प्रतिभागियों ने ये राय भी जताई कि केंद्र सरकार को पेट्रोल उत्पादों पर टैक्स नहीं घटाना चाहिए. 9 फीसदी प्रतिभागी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके.

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राफेल डील के बारे में सर्वे में ओडिशा के 76 प्रतिभागियों ने अनिभिज्ञता जताई. सिर्फ 24 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है. जिन्हें राफेल डील की जानकारी थी उनमे से 79 फीसदी प्रतिभागी इस राय के थे कि केंद्र सरकार को ये सार्वजनिक नहीं करना चाहिए कि फ्रांस से राफेल विमान कितने में खरीदा गया. वहीं 21% ने कहा कि सरकार को ये बताना चाहिए कि राफेल विमान कितने में खरीदा गया.

ओडिशा में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 147 सदस्यीय सदन में BJD को 117, BJP को 10, कांग्रेस को 16, CPIM और समता क्रांति दल को 1-1 और निर्दलीयों को 2 सीटों पर कामयाबी मिली थी.

झारखंड

बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में मुख्यमंत्री रघुवर दास को PSE सर्वे में 38 फीसदी प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद बताया. वहीं लोकप्रियता के मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन भी रघुवर दास से अधिक पीछे नहीं हैं. सोरेन को 28 फीसदी वोटरों ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया. झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के प्रमुख बाबू लाल मरांडी को भी सर्वे 13 फीसदी प्रतिभागी राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं.  

अगर कामकाज के पैमाने पर देखा जाए तो राज्य की मौजूदा बीजेपी सरकार के प्रदर्शन से सर्वे में 34 फीसदी प्रतिभागी संतुष्ट दिखे लेकिन बीजेपी के लिए खतरे की घंटी ये है कि 33 फीसदी वोटर सरकार के कामकाज से नाखुश हैं. वहीं 29 फीसदी प्रतिभागियों ने मौजूदा सरकार के कामकाज को औसत बताया.

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झारखंड के लिए सर्वे में 58% प्रतिभागियों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के लिए पहली पसंद बताया. वहीं 30 फीसदी वोटरों ने प्रधानमंत्री के लिए राहुल गांधी को अपनी पसंद बताया.

PSE सर्वे के मुताबिक के लोगों के लिए झारखंड में पीने का पानी सबसे बड़ा मुद्दा है. उसके बाद बेरोजगारी, कृषि संबंधी समस्याएं, नाला-नाली/साफ सफाई और महंगाई को राज्य के लोगों ने अन्य अहम मुद्दों के तौर पर गिनाया.  

PSE सर्वे में झारखंड के 14 संसदीय क्षेत्रों में 5,370 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

झारखंड में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 81 सदस्यीय सदन में BJP ने 35, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 17, कांग्रेस ने 6, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) ने 8 और AJSU ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी.

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