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PSE: तमिलनाडु में रजनीकांत से बड़े राजनीतिक स्टार बने कमल हासन

तमिलनाडु में कमल हासन रजनीकांत से बड़े राजनीतिक स्टार बनकर उभरे हैं. PSE सर्वे के मुताबिक तमिलनाडु के 8 फीसदी लोग कमल हासन और 6 फीसदी लोग रजनीकांत को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में हैं.

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कमल हासन (फेसबुक फोटो- @iKamalHaasan)
कमल हासन (फेसबुक फोटो- @iKamalHaasan)

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सिनेमा से तमिलनाडु की राजनीति में आए कमल हासन और रजनीकांत की राजनेता के रूप में लोकप्रियता बेहद कम है. अगर इन दोनों अभिनेताओं में तुलना की जाए, तो कमल हासन रजनीकांत से बड़े राजनीतिक स्टार बनकर सामने आए हैं. इसका खुलासा इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) सर्वे में हुआ है.

सर्वे के मुताबिक तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी DMK के प्रमुख एमके स्टालिन सबसे आगे और सत्तारूढ़  AIADMK के EK पलानीस्वामी दूसरे स्थान पर हैं.

PSE सर्वे के मुताबिक तमिलनाडु में सिनेमा के दो सुपरस्टार कमल हासन और रजनीकांत भी हाल में राजनीति में आए हैं. कमल हासन को 8 फीसदी और रजनीकांत को 6 फीसदी प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया.

रजनीकांत और कमल हासन की तमिलनाडु के राजनीतिक पटल पर दस्तक को लेकर चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव कहते हैं, ‘रजनीकांत की अपील बड़ी है, लेकिन राजनीतिक विचारधारा का जहां तक सवाल है तो रजनीकांत के पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं हैं. दूसरी तरफ कमलहासन काफी घूम रहे हैं, युवाओं से बात कर रहे हैं. वो जयललिता के जाने के बाद खाली हुए स्थान के लिए सशक्त दावेदार प्रतीत होते हैं.’

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डीएमके में करुणानिधि के निधन के बाद उनके राजनीतिक वारिस के सवाल पर यादव कहते हैं, ‘करुणानिधि के जाने से जो जगह खाली हुई है, उसे स्टालिन काफी हद तक भर चुके हैं. करुणानिधि के निधन के बाद भी उनकी पार्टी का ढांचा वैसा ही बना हुआ है. उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी (स्टालिन) साफ है. वहीं AIADMK में सब चरमरा गया है. इस पार्टी को अंदर से ही विस्फोट का सामना है. संकट वाले पानी में बीजेपी दखल देने की कोशिश कर रही है.’

बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव का कहना है कि उनकी पार्टी दक्षिण को अवसर के तौर पर देखती है. राव कहते हैं, ‘जयललिता का निधन करारा झटका था. वो अपनी पार्टी के लिए ‘वोट-कैचर’ थीं. लोकप्रिय होने से कुमारस्वामी (कर्नाटक मुख्यमंत्री) को कौन रोकता है. दक्षिणी बेल्ट में स्थानीय सरकारें काफी अलोकप्रिय नजर आती हैं.’   

राव ने कहा, ‘तमिलनाडु ऐसा राज्य रहा है जहां कोई भी अकेली पार्टी लंबे समय तक अपने बूते चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं रही. ये बात जयललिता के साथ भी रही. ये ऐसा राज्य है जहां गठबंधन मायने रखता है.’

पलानीस्वामी सरकार से ज्यादातर वोटर नाखुश

वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री EK पलानीस्वामी की सरकार को लेकर सूबे के अधिकतर वोटर नाखुश हैं. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 54 फीसदी प्रतिभागियों ने पलानीस्वामी सरकार के कामकाज को लेकर असंतोष जताया. तमिलनाडु के सर्वे में सिर्फ 18 फीसदी प्रतिभागी ही पलानीस्वामी सरकार को लेकर संतुष्ट दिखे.

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वहीं, तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन लोकप्रियता के मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री पलानीस्वामी से कहीं आगे हैं. स्टालिन को राज्य का अगला मुख्यमंत्री देखने के लिए 41 फीसदी प्रतिभागियों ने वोट दिया. उधर, पलानीस्वामी को सिर्फ 10 फीसदी प्रतिभागियों ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल देने के पक्ष में राय जताई.

पिछले चुनाव में AIADMK ने 134 सीटें जीतकर बनाई थी सरकार

साल 2016 में जयललिता के नेतृत्व में AIADMK ने 232 सदस्यीय तमिलनाडु में 134 सीट जीतकर सरकार बनाई थी, लेकिन उसी वर्ष दिसंबर में जयललिता के निधन के बाद AIADMK खेमों में बंट गई.

PSE सर्वे के मुताबिक 62 फीसदी वोटरों का मानना है कि गुटबाज़ी से ग्रस्त AIADMK अगले विधानसभा चुनाव से पहले फिर बंटेगी. 70 फीसदी से ज्यादा प्रतिभागियों का मानना है कि जयललिता के निधन के बाद AIADMK सरकार सही ढंग से काम नहीं कर रही है.

कौन से हैं स्थानीय मुद्दे?

तमिनाडु मे प्रतिभागियों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया. अन्य अहम मुद्दों में वोटरों ने पीने का पानी, महंगाई, गांवों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत और किसानों की दिक्कतों को गिनाया.

मेथेडोलॉजी

इंडिया टुडे-एक्सिस-माई-इंडिया सर्वे में तमिलनाडु के 39 संसदीय क्षेत्रों में 14,820 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

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