मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी है. हालांकि, इस मसले पर विपक्ष के पूरी तरह एकजुट नहीं होने से केंद्र सरकार पर दबाव बना पाना इनके लिए मुश्किल हो रहा है. बिहार में महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस को जदयू प्रमुख नीतीश कुमार की ओर से नोटबंदी का समर्थन रास नहीं आ रहा है. नोटबंदी पर मोदी सरकार को जोर-शोर से घेरने में जुटी कांग्रेस ने 2019 चुनाव के लिए प्रधानमंत्री के उम्मीदवार का मुद्दा उछाल दिया है. कांग्रेस ने कहा कि महागठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद का केवल एक ही उम्मीदवार होगा और वह नीतीश कुमार नहीं बल्कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी होंगे. कांग्रेस का मानना है कि नोटबंदी पर केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन कर नीतीश कुमार 2019 के आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपनी स्वतंत्र छवि गढ़ने के फिराक में हैं.
नोटबंदी के खिलाफ सोमवार को जब देशभर में प्रदर्शन हुए तो कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने इसमें जोर-शोर से हिस्सा लिया लेकिन जदयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि वो नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन का हिस्सा नहीं होंगे. हालांकि इससे पहले संसद में विपक्ष की ओर से हो रहे विरोध में जदयू नेता और नीतीश से पहले पार्टी अध्यक्ष रहे शरद यादव नोटबंदी के खिलाफ खड़े रहे.
कांग्रेस की रणनीति राहुल गांधी को नोटबंदी के खिलाफ मोदी सरकार के विरोध-प्रदर्शन का मुखर चेहरा बनाकर आगामी आम चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी उम्मीदवारी मजबूत करना है. ऐसे में नीतीश कुमार की ओर से नोटबंदी का समर्थन किए जाने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस का मानना है कि नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए नोटबंदी पर अपना यह रुख अपनाया है. नीतीश अपनी इस सियासी चाल से क्षेत्रीय ताकतों या तीसरे मोर्चे का मुखिया बनने की कोशिश में हैं या चुनाव बाद गठबंधन की स्थिति में बीजेपी के साथ खड़े होने की फिराक में हैं. लेकिन कांग्रेस का यह भी मानना है कि लोकसभा चुनाव में बिहार के वोटरों के लिए एक गठबंधन में दो नेता -राहुल गांधी और नीतीश कुमार- नहीं हो सकते.
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन कर नीतीश की शिकायत भी की है. सूत्रों का मानना है कि नीतीश और लालू के बीच सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है, ऐसे में गवर्नेंस के मसले पर नीतीश लालू से दूरी बनाना चाहते हैं.
शुरू से किया नोटबंदी का समर्थन
नीतीश कुमार ने शुरू से ही नोटबंदी का समर्थन किया और कहा कि इससे ब्लैक मनी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. नीतीश कुमार के इस रुख से सियासी गलियारे में ऐसी बातें होने लगीं कि बिहार चुनाव से पहले बीजेपी से नाता तोड़ने वाले नीतीश पीएम मोदी के करीब आ रहे हैं. रामविलास पासवान सरीखे एनडीए के कुछ नेताओं ने तो नीतीश कुमार डोरे डालने शुरू कर दिए. पासवान ने नीतीश को एनडीए में शामिल होने की पेशकश करते हुए कहा कि उनके और लालू प्रसाद के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. यह भी दावा किया गया कि बिहार में गठबंधन की सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी. हालांकि, नीतीश कुमार ने सोमवार को पार्टी विधायकों की मीटिंग में आरोप लगाया कि नोटबंदी पर बयान के बाद उनका सियासी करियर खत्म करने की साजिश की जा रही है.
राबड़ी के बयान से मचा बवाल
नोटबंदी को लेकर लालू और नीतीश के बीच तल्ख होते रिश्तों के बीच बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने एक बयान देकर आग में घी डालने का काम किया. उन्होंने कभी नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम रहे बीजेपी नेता सुशील मोदी को लेकर विवादित टिप्पणी कर डाली. हालांकि जब राबड़ी का बयान टीवी चैनलों के कैमरों में कैद हो गया तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने इसे मजाक कहकर बयान पर पर्दा डालने की कोशिश की. लेकिन सालभर पहले बिहार में सत्तासीन हुए महागठबंधन में सबकुछ ठीक है, यह कहना मुश्किल है. मंगलवार शाम नीतीश और लालू की मुलाकात हुई. इसके बाद लालू की तरफ से यह बयान सामने आया कि वो नोटबंदी का समर्थन करते हैं लेकिन इससे हो रही आम जनता को परेशानी की फिक्र महागठबंधन को है. लालू ने यह भी कहा कि बिहार में महागठबंधन को लेकर विपक्ष यानी बीजेपी की ओर से भ्रम फैलाया जा रहा है.