न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर रिटायर जस्टिस मार्कंडेय काटजू के खुलासे पर सियासी घमासान मच गया है. इसकी गूंज सोमवार को संसद में भी सुनाई दी. खुलासे पर हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
जस्टिस काटजू के दावे पर कांग्रेस ने बचाव का मोर्चा संभाल लिया है. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा है कि जस्टिस काटजू खबरों में बने रहना चाहते हैं, इसलिए ऐसा दावा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'काटजू एनडीए सरकार से नजदीकी बढ़ाना चाहते हैं इसलिए ऐसा लेख लिखा है. जजों की नियुक्ति की एक प्रक्रिया होती है. इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना गलत है.' कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली और राजीव शुक्ला ने भी राशिद अल्वी के बयान का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि अगर काटजू इतने ही गंभीर थे तो यह मुद्दा उस वक्त क्यों नहीं उठाया?
सीपीआई नेता डी राजा ने भी मार्कंडेय काटजू के इस खुलासे की टाइमिंग पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में कुछ कमी है. यह सिस्टम हर किसी को मंजूर नहीं है. वक्त आ चुका है जब न्यायिक जवाबदेही तय करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक आयोग बने.'
वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायवाती ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से राजनीति और न्यायपालिका को अलग-अलग रखने के पक्ष में रही है.
भ्रष्टाचारी को बनाया गया था मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जजः काटजू
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर बड़ा खुलासा किया है. काटजू ने दावा किया है कि तमिलनाडु के एक जिला अदालत के जज पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होने के बावजूद उसे मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया. मार्कंडेय काटजू ने मनमोहन सिंह और उनकी सरकार पर भी भ्रष्ट जज को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन चीफ जस्टिस पर भी भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं.
काटजू ने कहा कि मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार बचाने के लिए एक भ्रष्ट शख्स को मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज बने रहने दिया. चीफ जस्टिस आरसी लहोटी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई और सरकार की बात को मान लिया.