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2018 में इमरान खान, डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन बने सुर्खियां, छाया रहा रोहिंग्या संकट

उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने 2018 में इतिहास लिखने का काम किया. उन्होंने 27 अप्रैल को दक्षिण कोरिया की सीमा पार करके दोनों देशों के संबंधों का नया अध्याय लिखा

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डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन (फोटो-AP)
डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन (फोटो-AP)

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साल 2018 अपने आगोश में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक सरगर्मियों को समेटकर जा रहा है. इनमें से कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे हैं, जिनका आने वाले सालों पर भी अहम असर पड़ेगा. 2018 में दुनिया भर के कई देशों में राजनीतिक सत्ताएं, राजनीतिक संबंध बदले, जिसकी दुनिया को उम्मीद नहीं थी. इनमें भारत-पाकिस्तान से लेकर अमेरिका और उत्तर कोरिया के संबंधों में आए बदलाव अहम हैं. आइए जानते हैं कि साल 2018 में कौन से अहम अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम थे, जिन्होंने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा और सुर्खियों में बने रहे.

भारत में अजेय बीजेपी को झटका

अहम राजनीतिक घटनाक्रमों की शुरुआत भारत से करते हैं. इस साल के अंत में भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए. इन चुनावों में अब तक अजेय नजर आ रही केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा, जब तीन राज्यों से सत्ता उसके हाथ से निकल गई. हालांकि, इसमें सत्ता विरोधी लहर से लेकर हार का अंतर काफी कम होने जैसे तत्वों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन माना जा रहा है कि यह जीत 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों का समीकरण बदल सकती है.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने इमरान खान

पाकिस्तान में हुए आम चुनावों में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को अभूतपूर्व सफलता मिली. 25 जुलाई को इमरान खान भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे. इमरान खान के जोशीले भाषणों, बड़े-बड़े वादों पर वहां की जनता ने ऐतबार किया और उन्हें सत्ता की चाबी सौंपी. इसी साल पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा. अमेरिका से तनातनी और सैन्य फंड कम होने और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों के कर्ज के बोझ तले दबे इमरान ने खर्च कटौती की पहल की, जो सुर्खियों में रहा. उन्होंने चीन के अलावा भारत के साथ संबंध सुधारने की भी वकालत की है, जिसका परिणाम आने वाले सालों में देखने को मिलेगा.

श्रीलंका में राजनीतिक संकट

साल 2018 के अंत में श्रीलंका में राजनीतिक संकट का खत्मा हो गया. 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे को उनके पद से हटा दिया. सिरिसेना ने महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. इससे तीन साल बाद राजपक्षे फिर से सत्ता में आ गए. विक्रमसिंघे ने राजपक्षे को पीएम स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिससे यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सिरिसेना के संसद को भंग करने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया. 16 दिसंबर को रानिल विक्रमसिंघे फिर से देश के प्रधानमंत्री बन गए. इस तरह श्रीलंका के राजनीतिक संकट का अंत हुआ.

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म्यांमार में रोहिंग्याओं का दमन

रोहिंग्या उग्रवादियों ने म्यांमार में पुलिस चौकियों पर हमला किया था, जिसमें 12 जवान मारे गए थे. इसके जवाब में म्यांमार की सेना द्वारा रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों का दमन किया गया और रोहिंग्याओं का भारी मात्रा में पलायन हुआ. बांग्लादेश में करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों ने शरण ली, जिनके लिए भारत समेत कई देशों ने अपने दरवाजे बंद कर दिए थे. बांग्लादेश ने भारत से म्यांमार पर इन शरणार्थियों को वापस लेने का दबाव बनाने को कहा, लेकिन भारत ने अपने संबंध खराब होने के डर से ऐसा नहीं किया, जबकि चीन ने मध्यस्थता का प्रस्ताव देकर पहल की. इस पलायन को साल की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी करार दिया गया. मानवाधिकार कार्यकर्ता आंग सान सू की के इस मामले पर चुप्पी साधे रहने पर उनकी दुनिया भर में आलोचना भी हुई. उनसे कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी वापस ले लिए गए.

मालदीव में आपातकाल

2018 की शुरुआत में मालदीव में आपातकाल की घोषणा ने दुनिया को चौंका दिया. फरवरी में राष्ट्रपति अबदुल्ला यामीन ने देश में 15 दिन के आपातकाल की घोषणा की. मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने 9 राजनीतिक कैदियों की रिहाई का आदेश दिया था. इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश के खिलाफ बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. राजनीतिक संकट को देखते हुए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई. दुनिया भर ने इस फैसले की आलोचना की. 22 मार्च को आपातकाल के अंत की घोषणा कर दी गई. इसके बाद हुए चुनावों में यामीन की जगह इब्राहिम मोहम्मद सालेह राष्ट्रपति बने. यह नतीजा भारत के लिए सकारात्मक था, क्योंकि यामीन जहां चीन के करीब थे, सालेह भारत के करीब माने जाते हैं.

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उत्तर और दक्षिण कोरिया में दोस्ती

उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने 2018 में इतिहास लिखने का काम किया. उन्होंने 27 अप्रैल को दक्षिण कोरिया की सीमा पार करके दोनों देशों के संबंधों का नया अध्याय लिखा. वह 60 सालों में ऐसा करने वाले पहले उत्तर कोरियाई शासक बने. किम ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच परमाणु कार्य्रकम पर अहम बातचीत हुई. इसमें उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर विस्तृत चर्चा हुई. 20वीं सदी में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के बाद यह प्रायद्वीप दो हिस्सों में बंट गया था.

सऊदी पत्रकार की हत्या, चीनी अधिकारी की गिरफ्तारी

सऊदी अरब के आलोचक रहे वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खगोशी की अक्टूबर में तुर्की के दूतावास में हत्या से अंतरराष्ट्रीय संकट खड़ा हो गया था. सऊदी अरब के अधिकारियों द्वारा की गई इस हत्या से सऊदी अरब के दोस्त रहे अमेरिका के साथ उसके संबंधों में तनाव आ गया था. यह हत्या का मामला अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा और सऊदी को काफी आलोचना झेलनी पड़ी. इसके अलावा साल के अंत में चीन की टेलीकॉम कंपनी हुवावे की शीर्ष अधिकारी मेंग वानजोऊ को ईरान के प्रतिबंधों के उल्लंघन के आरोप के आरोप में कनाडा में गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद गुस्साए चीन ने दो कनाडाई नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था. चीन और कनाडा अपने-अपने लोगों की रिहाई की मांग कर रहे हैं.

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रूस और यूक्रेन के बीच तनाव

रूस में व्लादिमीर पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बनकर सामने आए और दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराया. हालांकि इसके अलावा रूस और यूक्रेन के बीच हुई तनातनी भी सुर्खियों में रही जिसका असर दुनिया के दूसरे देशों पर भी पड़ा. रूस ने नवंबर में यूक्रेन के जहाज को जब्त करके 24 नाविकों को हिरासत में ले लिया था. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली वार्ता भी रद्द हो गई थी. इसके बाद दिसंबर में जी-20 सम्मेलन में दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई थी.

अमेरिकी नीतियां रहीं चर्चा में

साल 2018 में अमेरिकी नीतियां फिर से चर्चा में रहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले दुनिया भर में चर्चा में बने रहे और इन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को काफी हद तक प्रभावित किया. नवंबर में अमेरिका के ईरान पर लगाए प्रतिबंध हों या शरणार्थियों के परिवार को लेकर अमेरिकी नीतियां और विरोध के बाद उनमें बदलाव, ट्रंप हमेशा खबरों में बने रहे. इसके अलावा जून में डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात भी खूब चर्चाओं में रही. एक-दूसरे के खिलाफ जहर उगलने वाले ट्रंप और किम एक-दूसरे के प्रति सम्मान दिखाते हुए देखे गए, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी.

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