सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में क़ानूनी शिकंजा कसने के बाद नरेंद्र मोदी के चहेते गृह राज्यमंत्री अमित शाह ने इस्तीफ़ा तो दे दिया, लेकिन अब भी उनका कहीं पता नहीं है. अलबत्ता, इस मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह और मात का सियासी खेल ज़रूर शुरू हो गया है.
गुजरात के गृह राज्यमंत्री अमित शाह की तलाश में सीबीआई ने दिन-रात एक कर दिया, लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला, जबकि इसी दौरान अमित शाह का इस्तीफ़ा नरेंद्र मोदी के घर पहुंच गया. खास बात यह कि नरेंद्र मोदी अमित शाह की इस क़ुर्बानी का ऐलान पूरी अकड़ के साथ करते हैं.
2005 के सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड में फंसे अमित शाह के बचाव में ख़ुद मुख्यमंत्री खड़े हो गए हैं. दूसरी तरफ़ सीबीआई के इस्तेमाल का हवाला देकर कांग्रेस पर सियासी तीर भी छोड़े जा रहे हैं.
गुजरात पुलिस ने सोहराबुद्दीन को आतंकवादी करार देकर उसके एनकाउंटर का दावा किया था. जब केस खुला, तो जाल में कई आला अफसर और मंत्री भी फंस गए. नरेंद्र मोदी अमित शाह के हक़ में दलील पर दलील दे रहे हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस कहती है कि मोदी और बीजेपी का सच सामने आने लगा है.
अमित शाह पर लगे आरोप अपनी जगह हैं और क़ानूनी दांवपेंच अपनी जगह, लेकिन एक बात साफ़ नज़र आ रही है कि ये मुद्दा कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए एक बड़ा हथियार बन गया है.