84 कोस की परिक्रमा यात्रा बस 84 मिनट का बवाल बनकर रह गई. यात्रा को लेकर ना वीएचपी की कोई तैयारी दिखती थी और ना ही यूपी की सरकार इस यात्रा को लेकर बहुत परेशान थी. जो दिखा, वो बस खड़ा किया गया एक बवाल था. मतलब परिक्रमा फ्लॉप हुई और इसपर पॉलिटिक्स पहले से ही फिक्स थी.
2014 का आम चुनाव करीब आया तो राम के नाम की सियासत की रेल एक बार फिर चल निकली. बीजेपी को राम मंदिर याद आ गया तो समाजवादी पार्टी को बीजेपी का विरोध याद आ गया. एक बार फिर अखाड़ा बन गया है अयोध्या. लेकिन इस नूराकुश्ती को मैच फिक्सिंग का नाम देकर सारा सियासी खेल बिगाड़ने में जुट गए हैं दिग्विजय सिंह.. और बीजेपी बौखलाई हुई है.
ना तो किसी को विश्व हिंदू परिषद के नेताओं का 84 कोसी परिक्रमा पर निकलने से अचंभा हुआ, ना ही अयोध्या की ओर दौड़े जा रहे संत महात्माओं के जत्थे को देखकर. वीएचपी के नेताओं और संत महात्माओं ने वही किया, जो पहले से एलान कर रखा था. और उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने भी वही किया जो उसने पहले से एलान कर रखा था. अयोध्या की ओर रुख करने वालों की धड़ाधड़ गिरफ्तारी शुरू हो गई. और दिन चढ़ने के साथ-साथ सियासत भी गरमाने लगी. लेकिन तभी कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने सियासी चिड़िया उड़ा दी. दिग्विजय सिंह ने ट्वीटर पर सवाल उछाल दिया- क्या अयोध्या का मैच फिक्स है?
जाहिर है कि कांग्रेस की ओर से निकले सियासी तीर के पीछे आधार बनीं चंद तस्वीरें.
ये तस्वीरें हैं वीएचपी नेताओं, संत महात्माओं के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के मुलाकात की. इसमें मुलायम और अखिलेश के साथ मौजूद हैं अशोक सिंघल. ये मुलाकात दिल्ली में 17 अगस्त को हुई थी. मुलाकात में 84 कोसी परिक्रमा पर बात हुई थी. मुलाकात में मुलायम ने 84 कोसी परिक्रमा को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया था. लेकिन रोक की भी मंशा नहीं जताई थी.
कांग्रेस ने सियासी मैच में फिक्सिंग का आरोप क्या लगाया. बीजेपी भड़क उठी. बीजेपी नेता कीर्ति आजाद बोले कि दिग्विजय सिंह सठिया गए हैं. वैसे सियासी गणित में नुकसान भी नफा दे जाता है. ये बात बीजेपी, समाजवादी पार्टी दोनों ही बखूबी जानती हैं. लेकिन इस फिक्सिंग में मैदान पर दिग्विजय सिंह अंपायर बनकर आ खड़े हुए.. तो पार्टी ने भी मोर्चा खोल लिया.
2014 चुनाव करीब है. चिड़िया उड़ाई जाने लगी है. सियासी माहौल बनने-बिगड़ने लगे हैं. हंगामा जोरों पर है और जनता खामोशी से सब देख रही है. फिक्सिंग भी और चिड़िया भी. जिसका असर लोकतंत्र पर पड़ना तय है.