सुप्रीम कोर्ट में पैदा हुए संकट को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. मामले को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया, तो बीजेपी ने भी पलटवार किया. सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था में विवाद को कांग्रेस पार्टी ने बेहद गंभीर मामला बताया. साथ ही चारों जजों के आरोपों की सही तरीके से जांच की मांग की.
कांग्रेस ने जस्टिस लोया की मौत की भी शीर्ष स्तरीय जांच कराने की मांग की. वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि यह न्यायपालिका का आंतरिक मामला है और वह इसमें राजनीति न करे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ऐसी घटना पहली बार हुई है, जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने सवाल पूछे हैं. यह बेहद गंभीर मामला है, इसलिए कांग्रेस पार्टी ने इस मामले पर अपना बयान जारी किया है.
मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो सवाल उठाए हैं, वो बेहद जरूरी हैं. इनको ध्यान से देखा जाना चाहिए और इसको सुलझाया जाना चाहिए. जजों ने जस्टिस लोया की मौत का मामला उठाया है, जिसकी शीर्ष स्तरीय जांच होनी चाहिए. जो हमारा लीगल सिस्टम है, उस पर हम सब और पूरा हिंदुस्तान भरोसा करता है.
Congress President Rahul Gandhi addresses the media on the #JudgesPressConference #DemocracyInDanger pic.twitter.com/uhLRZY9C4Z
— Congress (@INCIndia) January 12, 2018
इसके बाद बीजेपी ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भारत पूरे विश्व में अपनी न्यायिक प्रक्रिया के लिए जाना जाता है, लेकिन इसको लेकर कांग्रेस पार्टी के लोग सड़क पर राजनीति कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि यह विषय न्यायपालिका का आंतरिक मामला है. लिहाजा इस पर घरेलू राजनीति नहीं होनी चाहिए. हमें दुख है कि कांग्रेस पार्टी संविधान को ताक पर रख कर राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जिसे भारत की जनता ने चुनाव दर चुनाव ख़ारिज किया है, वो वहां अवसर तलाश रही है.
This is an internal matter of the Supreme Court,AG has given statement. No politics should be played. Surprised and pained that Congress which has been rejected number of times by people in elections is trying to gain political mileage, it has exposed itself: Sambit Patra,BJP pic.twitter.com/IeBios9MCs
— ANI (@ANI) January 12, 2018
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है. जजों ने बहुत बलिदान दिए हैं और उनकी नियत पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. उन्होंने कहा कि चारों जज बहुत ही ईमानदार हैं और वो याचिकाकर्ता की बातें जिस तरह से सुनते हैं और फैसला लिखते हैं, वो काबिले तारीफ है. जजों की वेदना को समझना चाहिए. स्वामी ने पीएम नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की मांग की है.
इसके अलावा माकपा महासचिव सीताराम येुचरी ने कहा कि यह समझने के लिए गहन जांच की जानी चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता किस तरह से प्रभावित हो रही है. साथ ही पूर्व राज्यसभा सदस्य शरद यादव ने इसे लोकतंत्र के लिए एक काला दिन बताते हुए कहा कि पहली बार सुप्रीम कोर्ट के निवर्तमान न्यायाधीशों को अपनी शिकायतें रखने के लिए मीडिया के सामने बोलना पड़ा.
मालूम हो कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल रहे. चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है. सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी.
उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. उन्होंने कहा कि अगर हमने देश के सामने ये बातें नहीं रखी और हम नहीं बोले तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. हमने चीफ जस्टिस से अनियमितताओं पर बात की. उन्होंने बताया कि चार महीने पहले हम सभी चार जजों ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था. जो कि प्रशासन के बारे में थे, हमने कुछ मुद्दे उठाए थे.