दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने लक्ष्मीनगर में घटनास्थल का दौरा किया और हालात का जायजा लिया. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी राजधानी में हुए इतने बड़े हादसे पर दुख जाहिर किया है. उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की है. सोनिया गांधी ने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल जाकर हादसे के पीड़ितों से मुलाकात भी की.
दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने कहा है कि दिल्ली में ऐसी तमाम खतरनाक इमारतों का सर्वे कराया जाएगा और उनके रखरखाव के इंतजाम होंगे.
क्रेडिट लेने ही होड़ में जो नेता दिल्ली को अपनी दिल्ली कहते हैं, हादसे के मौके पर वो पल्ला झाड़ने लगते हैं. लक्ष्मीनगर हादसे में यही हो रहा है. दिल्ली सरकार कह रही है कि एमसीडी जिम्मेदार है और एमसीडी पर जिनका कब्जा है, वे इसके लिए राज्य सरकार पर उंगली उठा रहे हैं. सबसे शर्मनाक बात यह है कि इन नेताओं में गलती कबूलने का नैतिक साहस नहीं है और लाशों पर सियासत जारी है.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने साफ-साफ यह कहा कि इस मामले में जल बोर्ड जिम्मेदार है.
दिल्ली सरकार सीधे-सीधे लक्ष्मीनगर हादसे की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेना चाहती. लेकिन अवैध तरीके से मकान बने हैं, तो इसके पीछे सरकार की भी अहम जिम्मेदारी है.
दिल्ली आवासीय इलाकों से जुड़े कुछ आंकड़ें:
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1977-2010 के बीच दिल्ली में 1639 अवैध कॉलोनियां बनीं. |
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दिल्ली की 3000 आवासीय कॉलोनियों में से 1639 अवैध हैं. |
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दिल्ली में 32 लाख घर हैं जिनमें 1 करोड़ 40 लाख लोग रहते हैं. |
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अवैध कॉलोनियों में करीब साढ़े सात लाख लोग रहते हैं. |
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दिल्ली की करीब पांच फीसदी आबादी अवैध कॉलोनियों में रहती हैं. |
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जिन अवैध कॉलोनियों को नियिमत किया गया उनमें 18 लाख लोग रहते हैं. |
सरकार ने जो गलतियां की हैं वो इस प्रकार हैं:
-दिल्ली के लक्ष्मीनगर के जिस ललिता पार्क एरिया में इमारत गिरी है वो इलाका एमसीडी के अधिकार-क्षेत्र में आता है. यहां होनेवाले हर निर्माण की इजाजत देने से लेकर उसकी देखरेख करने की जिम्मेदारी एमसीडी की है, लेकिन इस मामले में एमसीडी ने कुछ नहीं किया.{mospagebreak}
इस मामले पर शाहदरा के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जेपी वर्मा ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. लेकिन ऑफ द रिकार्ड उन्होने यह खुलासा किया कि पूरा शाहदरा ही गलत ढंग से बना हुआ है. इंजीनियर ने तो यहां तक कहा कि डिजासस्टर मैनेजमेंट के हिसाब से दिल्ली में 90 फीसदी इमारतें सही नही है.
- दिल्ली पुलिस के एक बीट कांस्टेबल से लेकर एसएचओ तक पर अवैध निर्माण पर नजर रखने की जिम्मेदारी है. लेकिन इस मामले में दिल्ली पुलिस भी आंखें मूंदे रही.
- देश की राजधानी में हुए इस हादसे ने बिल्डरों, सरकारी अफसरों और प्रशासन की मिलीभगत की भी पोल खोल दी. यह हादसा कई सवाल भी खड़े करता है कि कैसे सरकार ने बिल्डरों के गड़बड़झाले से आंखें मूंद लीं. इतना ही नहीं सरकार के पास ऐसे हादसों के बाद कोई डिजास्टर मैनेजमेंट का भी प्लान तैयार नहीं था.{mospagebreak}
ललिता पार्क में जो हादसा हुआ उसकी वजह बताई जा रही है यमुना के बाढ़ से इमारत की नींव का कमजोर पड़ना. लेकिन दिल्ली का एक बड़ा इलाका खतरे की बुनियाद पर ही खड़ा है. यहां कई इलाके ऐसे हैं जिनकी नींव ढीली हैं. भूकंप के सिर्फ एक झटके से पलभर में ललिता पार्क जैसे कई हादसे हो सकते हैं.
मौत की इमारत के मालिक पर केस दर्ज
लक्ष्मीनगर की मौत की इमारत के मालिक का नाम अमृतपाल सिंह है. मकान ढहने के बाद से अमृतपाल सिंह पूरे परिवार के साथ फरार है.
दिल्ली पुलिस ने अमृत पर मामला तो दर्ज कर लिया है लेकिन कहां है अमृत सिंह, ये किसी को पता नहीं. खबर है कि अमृत सिंह का पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड रहा है. उसके और उसके भाई के खिलाफ कई मामले दर्ज रहे हैं. इनमें हत्या, मारपीट, धोखाधड़ी, सीमेंट में मिलावट, और कालाबाजारी से जुड़े मामले शामिल हैं.
यह भी पता चला है कि अमृत सिंह 3 साल जेल में गुजार चुका है. उसके खिलाफ अवैध निर्माण के मामलों में भी शिकायतें दर्ज हैं.