संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा को सांसद बनने के 17 महीने बाद सरकारी बंगला तो मिल गया लेकिन विवादों के रंग रोगन के साथ. शर्मा अब 10 राजाजी मार्ग वाले दोमंजिला आलीशान बंगले में रहेंगे जहां पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम लगभग आठ साल रहे. आम आदमी पार्टी ने सरकार के इस फैसले पर यह कहते हुए आपत्ति जताई है कि कलाम की इस विरासत को स्मारक बनाना चाहिए.
संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा को आखिरकार सरकारी आवास तो मिल गया लेकिन विवादों के साथ. 10 राजाजी मार्ग के इस बंगले में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम लगभग 8 साल रहे. 17 महीने लंबे इंतजार के बाद अब कलाम साहब की विरासत वाला बंगला आवंटित होने से लोग खासे रोमांचित हैं. कहते हैं यहां के तो दरो-दीवार से भी प्रेरणा की ऊर्जा मिलेगी. केंद्रीय मंत्री शर्मा ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह उस बंगले में जा रहे हैं जहां कलाम साहब रह चुके हैं. यह गर्व की बात है.
तो इसलिए महेश शर्मा को दिया गया ये घर?
कुछ ही दिनों में बंगले पर नेमप्लेट बदल जाएगी और शायद यहां की साज-सज्जा भी बदल जाए. वैसे डॉ. शर्मा को इसी साल फरवरी में 7 त्यागराज मार्ग का बंगला दिया गया था लेकिन कांग्रेस के नेता के. मुनिअप्पा इसे खाली करने को तैयार नहीं थे, थक-हार कर शहरी विकास मंत्रालय ने टाइप-8 का ये बंगला डॉ. शर्मा के नाम अलॉट कर दिया.
रिटायरमेंट के बाद 2007 से करीब 8 साल लंबे प्रवास के दौरान कलाम साहब ने अपनी सरलता और सादगी की छाप यहां भी छोड़ी. लॉन में अर्जुन के दरख्त के नीचे कलाम साहब अकसर चिंतन-मनन करते थे.
कलाम साहब ने फाड़ दिया था मेंटीनेंस का प्रस्ताव
लॉन में जल निकासी का उचित इंतजाम ना होने से बरसात मे पानी भर जाता था. सीपीडब्ल्यूडी ने इसे दुरुस्त करने के लिए 12 लाख रुपये का बजट बनाया. मंजूरी के लिए कलाम साहब के पास जब बजट आया तो उन्होंने ये कहते हुए कागज फाड़ दिये कि चार दिन ही तो पानी भरता है, इसके लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करने की कोई जरूरत नहीं. तो अब यहां रहने वाले इस सादगी की विरासत को भी संभालेंगे, विपक्ष इसे एक चुनौती के रूप में देखता है.
बंगले को लेकर सियासत जारी
तमाम विपक्ष कलाम साहब के बंगले को विरासत की तरह सहेजने की हिमायत में एकजुट है लेकिन सरकार ये दुहाई देते हुए पल्ला झाड़ रही है कि किसी भी हस्ती के बंगले को स्मारक ना बनाने का फैसला तो नीतिगत है. बंगले को स्मारक का दर्जा देने के लिए घमासान शुरू होता देख सरकार ने एमओयू जारी करके बताया है कि कानूनी तौर पर ऐसी किसी भी बिल्डिंग को स्मारक बनाने पर रोक है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश भी है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति विशेष को दिए गए सरकारी आवास को स्मारक के रूप में तब्दील नहीं किया जा सकता.