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ओपिनियन: कोयला घोटाले में PM पर उंगली उठना वाजिब

कोयला घोटाले में बहुत से चेहरे काले तो हो गए, लेकिन अब सीबीआई जिस तरह का उतावलापन दिखा रही है, वह समझ से परे है. माना कि इस जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र रूप से बड़े से बड़ा कदम उठाने का निर्देश दे दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह उत्साह में कुछ ऐसा कर जाए, जिससे देश में निवेश को धक्का लगे और व्यापारिक सेंटीमेंट को चोट पहुंचे.

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और बढ़ी कोयला घोटाले की तपिश
और बढ़ी कोयला घोटाले की तपिश

कोयला घोटाले में बहुत से चेहरे काले तो हो गए, लेकिन अब सीबीआई जिस तरह का उतावलापन दिखा रही है, वह समझ से परे है. माना कि इस जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र रूप से बड़े से बड़ा कदम उठाने का निर्देश दे दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह उत्साह में कुछ ऐसा कर जाए, जिससे देश में निवेश को धक्का लगे और व्यापारिक सेंटीमेंट को चोट पहुंचे.

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अभी कोयला घोटाले में सीबीआई की जांच ही चल रही है और बहुत सी बातों का पता चलना है, लेकिन इसके पहले ही उसने एक और एफआईआर कर दी. इसके बाद तत्कालीन कोयला सचिव पीसी पारख ने कहा कि अगर कोलगेट मैं आरोपी हूं, तो प्रधानमंत्री का नाम भी इसमें शुमार होना चाहिए. आपके प्रिय वेबसाइट आज तक डॉट कॉम ने इस पर जनता से वोट मांगा कि प्रधानमंत्री का नाम भी इसमें शुमार होना चाहिए या तत्कालीन कोयला सचिव गलत बोल रहे हैं. इसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे. 95.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री का नाम भी इसमें शुमार होना चाहिए, जबकि महज 4.7 प्रतिशत ने कहा कि पूर्व कोयला सचिव गलत बोल रहे हैं.

यह नतीजा अपने आप बहुत सी बातें कह रहा है. सबसे पहले तो इससे एक बात साफ हो गई कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेदाग छवि अब तार-तार हो चुकी है और दूसरे वे देश की जनता का विश्वास खोते जा रहे हैं. जनता की वोटिंग इसलिए भी मायने रखती है कि पूर्व कोयला सचिव को बहुत कम लोग जानते हैं और वह कोई राजनीतिक नेता भी नहीं हैं. उनके बयान का इतना जबर्दस्त समर्थन यह दर्शाता है कि जनता में अब सरकार के बयानों का महत्व खत्म हो गया है.

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यह सच है और जरूरी भी है कि सरकारी टेंडरिंग में पारदर्शिता हो और सब कुछ पूरी तरह रिकॉर्डेड हो, क्योंकि इससे ही देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा. हमारे पाठकों ने जिस तरह से एक स्वर में कोयला घोटाले मामले में उस समय के सचिव पीसी पारख की इस बात से सहमति जताई है कि इस मामले में प्रधानमंत्री को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए, उससे लगता है कि सीबीआई का यह कदम गलत है. इतनी बड़ी संख्या में पाठकों का पारख को समर्थन देना इस बात का सूचक है कि इस मामले में सीबीआई से चूक हुई है.

(मधुरेंद्र प्रसाद सिन्‍हा वरिष्‍ठ पत्रकार और हमारे संपादकीय सलाहकार हैं)

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