सुप्रीम कोर्ट में आज बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर सुनवाई है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को तलब किया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले भी सरकरों को कड़ी फटकार लगा चुका है. इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई. एनजीटी ने कूड़े जलाने पर सख्ती बरतते हुए तुरंत एक्सपर्ट कमेटी बनाने का आदेश दिया है.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मुद्दे पर राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है. पराली जलाने पर तत्काल एक्शन लेने की भी सुप्रीम कोर्ट ने बात कही है. 4 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य सरकारों को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है, लेकिन यहां पर लोग मर रहे हैं. किसी भी सभ्य देश में ऐसा नहीं होता है .
पराली पर पहले भी सख्ती दिखा चुका है कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोगों को जीने का अधिकार है, एक पराली जलाता है और दूसरे के जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है. जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार करे या फिर राज्य सरकार, इससे हमें मतलब नहीं है. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हर साल 10-15 दिन के लिए हमें ये देखना पड़ रहा है.
अगर आपके पास एंड्रॉएड फोन है तो यहां आपके आस-पास की हवा में प्रदूषण का हाल मिलेगा
एनजीटी से भी सरकार को फटकार
इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की भयावह स्थिति और बिगड़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी.
केंद्र व दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ ने कहा कि सरकार इसको नियंत्रित करने में सक्षम क्यों नहीं है? अब हम यहां, वहां दौड़ रहे हैं और कोई प्रभावी प्रयास अभी तक नहीं किया जा रहा है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि भारत सरकार को देश में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सर्वोत्तम समाधान खोजना चाहिए.