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विनोद राय का आखिरी धमाका, मनरेगा में महालूट

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मनरेगा में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. कैग (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा के फंड का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मनरेगा में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. कैग (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा के फंड का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

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रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के तहत गलत तरीके से फंड दिया गया और उसका कोई हिसाब नहीं रखा गया. रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि मार्च 2011 में  जारी 1960.45 करोड़ का तो सही ढंग से हिसाब ही मौजूद नहीं है.

कैग की रिपोर्ट में ग्रामीण विकास मंत्रालय की मॉनीटरिंग कमेटी पर भी उंगली उठाई गई है. साथ ही कहा गया है कि मनरेगा में सबसे बड़ी धांधली बिहार,यूपी और महाराष्ट्र में हो रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी, महाराष्ट्र और बिहार में 46 फीसदी लोग गरीब हैं, लेकिन मनरेगा योजना का फायदा सिर्फ 20 फीसदी लोगों को हुआ.

मनरेगा के क्रियान्वयन में खामियां उजागर करते हुए कैग ने केंद्र सरकार की खिंचाई की है. कैग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना में 2,252 करोड़ रुपये की राशि को दूसरे काम के लिए निकाल लिया गया या ऐसे काम पर खर्च किया गया जिसकी योजना के तहत अनुमति नहीं है.

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ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2006 में शुरू किए गए कार्यक्रम की ऑडिट के आधार पर कैग ने यह भी पाया कि 4,070 करोड़ रुपये के काम एक से 5 साल की अवधि के बाद भी लंबित थे. कैग ने कहा कि 2009-10 में इस कार्यक्रम के जरिये 283.59 करोड़ व्यक्ति दिन के रोजगार का सृजन हुआ था, जो 2011-12 में घटकर 216.34 करोड़ व्यक्ति दिन रह गया. इसके अलावा कार्य के पूर्ण होने की रफ्तार में भी इस दौरान उल्लेखनीय गिरावट आई.

संसद में आज पेश रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मंत्रालय द्वारा धन जारी करने की मंजूरी के मामले में कई प्रकार की खामियां मिलीं. कई ऐसे मामले सामने आए जबकि मंत्रालय ने मांग से भी अधिक अनुदान जारी कर दिया.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010-11 में वास्तव में मंत्रालय ने धन जारी करने संबंधी सभी शर्तों में ढील दी. मंत्रालय ने इस फैसले के लिए कोई आधार नहीं बताया. इसमें कहा गया है कि अकेले मार्च, 2011 में 1,960.45 करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि इसमें किसी प्रकार के वित्तीय नियंत्रण का इस्तेमाल नहीं किया गया.

कैग ने सरकार से कहा है कि वह इस योजना के उचित तरीके से क्रियान्वयन के लिए निर्णायक कदम उठाए. सरकारी ऑडिटर ने कहा, ‘सरकार को गहन निगरानी और आकलन प्रणाली विकसित करने की जरूरत है.’

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मनरेगा के क्रियान्वयन का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि 2,252.43 करोड़ रुपये के 1,02,100 ऐसे कार्य किए गए जिसकी मंजूरी नहीं ली गई थी.

इनमें कच्ची सड़क का निर्माण, सीमेंट कंक्रीट की सड़क, मवेशियों के लिए चबूतरे का निर्माण और स्नान घाट शामिल हैं. मनरेगा के क्रियान्वयन का प्रदर्शन ऑडिट कैग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के आग्रह पर किया है.

ऑडिट की अवधि अप्रैल, 2007 से मार्च, 2012 रही. कैग ने कहा कि मनरेगा के तहत किए गए कार्यों में अनियमितताएं देखने को मिलीं. कैग ने 28 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों की 3,848 ग्राम पंचायतों में कार्यक्रम के क्रियान्वयन की जांच की. सरकारी ऑडिटर ने कहा है कि काफी समय होने के बावजूद 4,070.76 करोड़ रुपये का कार्य अभी भी पूरा नहीं हो पाया है.

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